नई दिल्ली । कल सावन का चौथा और अंतिम सोमवार हैं। धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से श्रावण माह का अंतिम सोमवार महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। ऐसे में व्रत रखने वाले श्रद्धालुओं को भगवान शिव की पूजा अर्चना करते समय कई बातों का ध्यान रखना होगा। कई बार श्रद्धालु व्रत रखते समय कई महत्वपूर्ण बातों का ध्यान नहीं रखते जिसके कारण उन्हें उनके व्रत का फल नहीं मिल पाता। सावन के चौथे सोमवार के दिन एकादशी का व्रत भी हैं।
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ऐेसे कल भक्तजनों को भगवान महेश के साथ साथ श्री हरि विष्णु का भी आशीर्वाद प्राप्त होगा। रवि योग में श्रद्धालुओं को सुबह 05 बजकर 46 मिनट से दोपहर 02 बजकर 37 मिनट के बीच भगवान शिव की उपासना करनी होगी। इस खास मुहूर्त में शिवलिंग का पंचामृत से अभिषेक करने से भोलेनाथ भक्तों के दुख हरते हैं और भविष्य में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।
ऐसे करे भगवान शिव की पूजा
सावन के चौथे सोमवार पर रवि नामक योग भी बन रहा है। यह योग सुबह 05 बजकर 46 मिनट से दोपहर 02 बजकर 37 मिनट तक रहेगा। इस खास मुहूर्त में शिवलिंग का पंचामृत से अभिषेक करने से लाभ प्राप्ति के मार्ग में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और आरोग्य सुख की प्राप्ति होती है।
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सबसे पहले भगवान शिव का मंत्रों के साथ आह्वान करें। इसके बाद शिव मंदिर में हाथ में चावल लेकर शिवलिंग के सामने हाथ जोड़कर व्रत का संकल्प लें और अपनी गलतियों की क्षमा मांगे। इसके बाद शिवलिंग का पंचामृत से अभिषेक करें और फिर चंदन, अक्षत, फूल, बेलपत्र, शमी के पत्ते, धतूरा, भांग आदि पूजा की चीजें शिवलिंग पर अर्पित करें। पूजा सामग्री अर्पित करने के बाद चंदन का तिलक करें।
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शुभ योग में सावन के चौथे सोमवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान व ध्यान करें और साफ कपड़े पहनें। इसके बाद सूर्यदेव को जल दें क्योंकि इस दिन रवि नामक योग का भी निर्माण हो रहा है। इसके बाद पास शुभ मुहूर्त में पास के शिवालय में जाकर शिवलिंग की पूजा-अर्चना करें।
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शिवलिंग के साथ ही माता पार्वती समेत शिव परिवार की पूजा करें और उनके सामने घी का दीपक जलाएं। इसके बाद शिव मंत्रों का जप करें और शिव चालीसा का पाठ करें। इसके बाद शिवजी की आरती उतारें और फिर प्रदोष काल में भी शिवलिंग की पूजा-अर्चना करें। इसके बाद आप भोजन कर सकते हैं।
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