Sawan Last Somwar 2022 : सावन सोमवार। आज सावन के पावन महीने का आखिरी सोमवार है। आज ग्रहों की चाल में विशेष स्थिति का निर्माण हो रहा है। ग्रहों की विशेष स्थिति के कारण आज बेहद शुभ संयोग बन रहा है। ज्योतिषियों का मानना है कि इन शुभ योगों में भगवान शिव की पूजा-आराधना से मिला फल कभी भी खत्म नहीं होता। आज के दिन महादेव की सच्चे मन से पूजा करने पर भक्तों पर शिव की असीम कृपा जीवन भर बनी रहती है। तो चलिए हम आपको बताते हैं कि श्रावण मास के आखिरी सोमवार भगवान शिव की पूजा के लिए कौन से शुभ योग बन रहे हैं और इस दिन भोलेनाथ की उपासना कैसे करें।>>*IBC24 News Channel के WHATSAPP ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां CLICK करें*<<
ग्रहों की विशेष स्थिति से आज बेहद शुभ संयोग बन रहा है। ज्योतिषियों का कहना है कि श्रावण के आखिरी सोमवार चंद्रमा में ज्येष्ठा नक्षत्र रहेगा, जिसका स्वामी इंद्र है और संयोग से आज इंद्र योग भी बन रहा है। इसके साथ ही बता दें कि द्वादशी होने के कारण महादेव कैलाश पर रहेंगे। ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति से रवियोग और पद्म योग का निर्माण होगा। इन शुभ योगों के चलते सावन के आखिरी सोमवार का महत्व और भी ज्यादा बढ़ गया है। ज्येष्ठ नक्षत्र में आप शुभ और मांगलिक कार्यों को संपन्न कर सकते हैं।
ज्योतिषियों का मानना है कि आज के दिन भोलेनाथ की विशेष पूजा करने से विशेष फल मिलता है। जैसे की सभी भक्तों को पता ही है कि भगवान शिव के रूद्र रूप को रूद्राभिषेक बहुत प्रिय है। इससे महादेव की कृपा से सारी ग्रह बाधाओं और समस्याओं का नाश होता है। सावन में रुद्राभिषेक करना ज्यादा शुभ होता है। मान्यता है कि किसी भी तरह के कष्ट या ग्रहों की पीड़ा रुद्राभिषेक करने से दूर हो जाती है। मंदिर के शिवलिंग पर रुद्राभिषेक करना बहुत उत्तम होता है। मान्यता है कि कुंडली में मौजूद महापातक या अशुभ दोष भी शिव जी का रुद्राभिषेक करने से दूर हो जाते हैं।
हिंदू धर्म में पूजा-पाठ का विशेष महत्त्व है। शास्त्रों के अनुसार, सावन के सोमवार में शिवतांडव स्तोत्र का पाठ करने से भगवान शिव जल्द प्रसन्न होते हैं। बताते चलें कि नियमित रूप से शिव स्तुति करने से कभी भी धन-सम्पति की कमी नहीं होती है। इससे भक्तों में व्यक्ति का चेहरा तेजमय होता है, आत्मबल मजबूत होता है।
इसके साथ ही शिवतांडव स्तोत्र का पाठ करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और शनि दोष को कुप्रभावों से भी छुटकारा मिलता है। जिन लोगों की कुण्डली में सर्प योग, कालसर्प योग या पितृ दोष लगा हुआ है, उन्हें शिव स्तुति का विशेष लाभ मिलता है।