Rinharta Ganesh stotra : इस चमत्कारी ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र के नियमित पाठ एवं सुनने मात्र से ही पाएंगे ऋण से हमेशा हमेशा के लिए निजात

By regularly reciting and listening to this miraculous debt-removal Ganesha Stotra, you will get rid of your debt forever

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  • Publish Date - September 6, 2024 / 04:13 PM IST,
    Updated On - September 6, 2024 / 04:13 PM IST

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Rinharta Ganesh stotra : श्री गणेश जी का यह स्त्रोत करने से ऋण यानी कर्ज से छुटकारा मिल जाता है। गणेश जी की कृपा प्राप्ति और कर्ज से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो इसके लिए ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। जो भी भक्त इस ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र का नियमित रूप से पाठ करता है, उसका कठिन से कठिन कर्ज बहुत ही आसानी से चुक जाता है। इसके साथ ही धन को अर्जित करने हेतु कई मार्ग भी खुल जाते है। यह स्त्रोत भविष्य में आने वाली वित्तीय समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने में सहायता करता है। ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र, भगवान गणपति जी का स्त्रोत है। जिसकी आराधना करने से गणेश जी प्रसन्न होते है और वह भक्त की मनोकामना को पूर्ण करते है। गणेश जी का यह स्त्रोत बहुत ही फलदायक होता है। ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र का पाठ करने से जातक सभी ऋणों से मुक्ति पा लेता है।

Rinharta Ganesh stotra : आईये पढ़ें ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र 

॥ ध्यान ॥
ॐ सिन्दूर-वर्णं द्वि-भुजं गणेशं लम्बोदरं पद्म-दले निविष्टम् ।
ब्रह्मादि-देवैः परि-सेव्यमानं सिद्धैर्युतं तं प्रणामि देवम् ॥

॥ मूल-पाठ ॥
सृष्ट्यादौ ब्रह्मणा सम्यक् पूजित: फल-सिद्धए ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥

त्रिपुरस्य वधात् पूर्वं शम्भुना सम्यगर्चित: ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥

हिरण्य-कश्यप्वादीनां वधार्थे विष्णुनार्चित: ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥

Rinharta Ganesh stotra

महिषस्य वधे देव्या गण-नाथ: प्रपुजित: ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥

तारकस्य वधात् पूर्वं कुमारेण प्रपूजित: ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥

भास्करेण गणेशो हि पूजितश्छवि-सिद्धए ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥

Rinharta Ganesh stotra

शशिना कान्ति-वृद्धयर्थं पूजितो गण-नायक: ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥

पालनाय च तपसां विश्वामित्रेण पूजित: ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥

Rinharta Ganesh stotra

इदं त्वृण-हर-स्तोत्रं तीव्र-दारिद्र्य-नाशनं,
एक-वारं पठेन्नित्यं वर्षमेकं सामहित: ।
दारिद्र्यं दारुणं त्यक्त्वा कुबेर-समतां व्रजेत् ॥

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