Koumari Shaktipeeth in Chhattisgarh: भोलेनाथ ने किया था छत्तीसगढ़ की ‘कौमारी शक्तिपीठ’ का नामकरण, 11 वीं शताब्दी में राजा रत्नदेव ने कराया था निर्माण, दर्शन से ही कुंवारी कन्याओं को मिलता है मनचाहा वर

Ratanpur Mahamaya Mandir History in Hindi: भोलेनाथ ने किया था छत्तीसगढ़ की 'कौमारी शक्तिपीठ' का नामकरण, 11 वीं शताब्दी में राजा रत्नदेव ने कराया था निर्माण

बिलासपुर: Ratanpur Mahamaya Mandir History in Hindi आज से शक्ति आराधना का पर्व नवरात्र शुरू हो रहा है। नवरात्रि पर देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की विशेष रूप से पूजा की जाती है। आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि लेकर नवमी तिथि तक शारदीय नवरात्रि रहती है। इस बार शारदीय नवरात्रि अक्टूबर से शुरू होकर 11 अक्टूबर को नवमी पूजन के साथ नवरात्रि समाप्त हो जाएगी और 12 नवंबर को देवी मां को विसर्जित किया जाएगा। नवरात्र के पहले दिन छत्तीसगढ़ सहित देशभर के देवी मंदिरों में भक्तों की खासी भीड़ देखी जा रही है।ऐसे में आज हम देवी की 15 शक्तिपीठों में से एक मां महामाया के बारे में बताने जा रहे हैं।

Read More: Maa Bamleshwari Darshan Yatra: मां बम्लेश्वरी के दर्शन के लिए विशेष सुविधा, श्रद्धालुओं की बस को सीएम साय ने दिखाई हरी झंडी

Ratanpur Mahamaya Mandir History in Hindi आदिशक्ति मां महामाया का मंदिर बिलासपुर ज़िले के रतनपुर में स्थित है। आदिशक्ति मां महामाया देवी मंदिर, छत्तीसगढ़ के सबसे महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों में से एक है। यह मंदिर, दक्षिण-पूर्व भारत के सबसे धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध मंदिरों में से एक है। रतनपुर एक धार्मिक एवं प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल है, जहां अनेकों मंदिर हैं, इसलिए रतनपुर को मंदिरों का शहर भी कहा जाता है।

Read More: DA Hike News: नवरात्रि पर मिल ही गया सरकारी कर्मचारियों को तोहफा, महंगाई में हुई 4 प्रतिशत की बढ़ोतरी, सरकार ने जारी किया आदेश

रतनपुर को कल्चुरी वंश के शासन काल में छत्तीसगढ़ राज्य की राजधानी भी घोषित किया गया था। उस समय यहां 1200 से भी अधिक तालाब हुआ करते थे, जिसके कारण ही इसे तालाबों का शहर भी कहा जाता था। रतनपुर नगर में अनेक मंदिर हैं लेकिन यह विशेष रूप से महामाया देवी मां के मंदिर के लिए विख्यात है। कहा जाता है कि आदिशक्ति मां महामाया देवी मंदिर का निर्माण राजा रत्नदेव प्रथम द्वारा ग्यारहवीं शताब्दी में कराया गया था। मंदिर के भीतर महाकाली, महासरस्वती और महालक्ष्मी स्वरुप देवी की प्रतिमाएं विराजमान हैं।

Read More: Garba Rules in Indore: ‘आओगे 2 पैरों पर…जाओगे 4 कंधों पर, 9 दिन चलेगा रोको-टोको-ठोको अभियान’ गरबा में आने वाले मुस्लिम युवाओं के लिए VHP और बजरंग दल की चेतावनी

मान्यता है कि इस मंदिर में तंत्र-मंत्र का केंद्र रहा होगा। रतनपुर में देवी सती का दाहिना स्कंद गिरा था, इसलिए रतनपुर शक्तिपीठ के रूप में ख्यात है। भगवन शिव ने स्वयं आविर्भूत होकर उसे कौमारी शक्ति पीठ का नाम दिया था, जिसके कारण मां के दर्शन से कुंवारी कन्याओं को सौभाग्य की प्राप्ति होती है। नवरात्री पर्व पर यहां की छटा दर्शनीय होती है। इस अवसर पर श्रद्धालुओं द्वारा यहां 30 हजार से ज्यादा की संख्या में मनोकामना ज्योति कलश प्रज्जवलित किये जाते हैं।

Read More: Samvida Karmi Permanent Latest News: दूर हो गई संविदा कर्मचारियों की सारी टेंशन, सरकार ने किया परमानेंट करने का ऐलान, वर्षों पुरानी मांग हुई पूरी 

बता दें कि रतनपुर का इतिहास पुरातनता से मिलता है, और पुरातात्विक साक्ष्य बताते हैं कि यह 8वीं शताब्दी ईस्वी तक एक समृद्ध बस्ती थी। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में स्थित, रतनपुर को विभिन्न युगों में कई नामों से जाना जाता था जैसे – मणिपुर, रत्नावली । माना जाता है कि शहर के नाम की उत्पत्ति संस्कृत के शब्द “रत्न” (रत्न) और “पुर” (शहर) से हुई है?। रतनपुर का इतिहास लड़ाइयों और सत्ता परिवर्तन का भी गवाह है। इस क्षेत्र ने नागवंशी और मराठा शासकों सहित विभिन्न राजवंशों का उत्थान और पतन देखा है।

Read More: Sahara India Refund Latest News : अब घर बैठे मिलेगा सहारा इंडिया का रिफंड.. सीधे खाते में आएगा पैसा, यहां देखें कैसे चेक करें स्टेटस

 

 

देश दुनिया की बड़ी खबरों के लिए यहां करें क्लिक

Follow the IBC24 News channel on WhatsApp

खबरों के तुरंत अपडेट के लिए IBC24 के Facebook पेज को करें फॉलो