Pitra Dosh is very painful: नई दिल्ली। धार्मिक मान्यता के अनुसार यदि किसी व्यक्ति के मृत्यु के पश्चात उसका विधि-विधान से अंतिम संस्कार न किया जाए या फिर किसी व्यक्ति की अकाल मृत्यु हो जाए तो इससे परिवार के लोगों सहित कई पीढ़ियों को पितृदोष का दंश झेलना पड़ता है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार यदि किसी जातक की कुंडली में पितृ दोष होता है तो उसे जीवन में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
पितृपक्ष की शुरुआत 11 सितंबर से होने जा रही है। इस दौरान अगले 15 दिनों तक श्राद्ध, तर्पण के जरिए पितरों को संतुष्ट किया जाएगा। श्राद्ध पक्ष में नियम है कि इसमें पितरों के नाम से जल और अन्न का दान किया जाता है और उनकी नियमित कौएं को भी अन्न जल दिया जाता है।]
पितृ दोष के नियम न अपनाने से परिवार में समस्याओं का सिलसिला लगा रहता है। पितृ दोष के कई लक्षण दैनिक जीवन में दिखाई देते हैं। दिल्ली के आचार्य गुरमीत सिंह जी से जानें क्या है पितृ दोष के लक्षण और पितृ दोष के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए क्या उपाय करें।
ये हैं पितृ दोष के लक्षण
Pitra Dosh is very painful: परिवार में किसी सदस्य का अस्वस्थ रहना-इलाज कराने के बावजूद भी परिवार में हमेशा ही किसी न किसी सदस्य का बीमार रहना पितृ दोष का कारण हो सकता है। बार-बार दुर्घटना का शिकार होना– पितृ दोष के कारण व्यक्ति बार-बार दुर्घटना का शिकार होता है। साथ ही उसके जीवन में होने वाले सभी मांगलिक कार्यों में किसी न किसी कारण से बाधाएं उत्पन्न होती हैं।
परिवार में किसी सदस्य का अविवाहित रहना-परिवार में किसी सदस्य का विवाह न हो पाना भी पितृ की नाराजगी को दर्शाता है। परिवार का कोई ऐसा व्यक्ति जो विवाह योग्य है, लेकिन विवाह नहीं हो रही हो। इसके अलावा परिवार का कोई ऐसा व्यक्ति जिसका विवाह होने के बाद भी तलाक हो जाना या किसी कारण अलग रहना भी पितृ दोष है।
संतान सुख न मिलना- पितृ दोष के अशुभ प्रभाव से संतान सुख में बाधा आती है। यदि संतान हो भी जाए तो वह मंदबुद्धि, विकांल या चरित्रीन होते हैं।
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परिवार में कलह-क्लेश होना– धन-संपत्ति से परिपूर्ण होने के बावजूद भी परिवार में एकता न होना और अशांति का माहौल बने रहना भी पितृ दोष के लक्षण हैं। पितृ दोष होने से घर-परिवार में हमेशा ही कलह-क्लेश की स्थिति बनी रहती है, जिससे व्यक्ति मानसिक तनाव में होता है।
पितृदोष के उपाय
Pitra Dosh is very painful: 1. पूर्वजों के मृत्यु की तिथि के दिन ब्राह्मण भोज कराएं और श्रद्धापूर्वक दान दें।
2. संध्या के समय दक्षिण दिशा की ओर दीपक जलाएं. यदि प्रतिदिन संभव न हो तो पितृपक्ष के दौरान जरूर जलाएं।
3. कुंडली में यदि पितृ दोष है तो इसके लिए किसी कुंवारी कन्या का विवाह कराएं। यदि विवाह नहीं करा सकते हैं तो किसी गरीब कन्या के विवाह में मदद करें।
4. पितृ दोष का प्रभाव कम करने के लिए दक्षिण दिशा में पितरों की तस्वीर लगाएं और प्रतिदिन स्मरण करें। इससे पूर्वजों की नाराजगी कम होती है और पितृ दोष का प्रभाव भी कम होने लगता है।