Salute on janmastami rajasthan
राजसमंद, राजस्थान। श्रीनाथजी मंदिर प्रशासन ने सोमवार रात राजस्थान के राजसमंद में कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर पारंपरिक 21 तोपों की सलामी दी। जन्माष्टमी पर कृष्ण जन्म के दौरान रिसाला चौक में 21 तोपों की सलामी दी गई। श्रीनाथजी मंदिर में जन्माष्टमी के दिन कृष्ण जन्म होने पर 2 तोप से 21 बार सलामी दी जाती है।
#WATCH | Shrinathji Temple administration presented traditional 21-gun salute on the occasion of Krishna #Janmashtami in Rajsamand, Rajasthan last night pic.twitter.com/lobXG8ql9o
— ANI (@ANI) August 31, 2021
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क्या है इतिहास
मुगल शासक औरंगजब के शासन काल में हिंदू मंदिरों को नष्ट करने के भय से श्रीकृष्ण विग्रह श्रीनाथजी को सुरक्षा की दृष्टि से ब्रज से विहार कराया। कहा जाता है कि विक्रम संवत 1726 अश्विन शुक्ल 15 तदनुसार 10 अक्टूबर 1669 ईस्वी को प्रभु ने ब्रज से विहार किया।
विक्रम संवत 1728 कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा के दिन प्रभु मेवाड़ पहुंचे। महाराणा राजसिंह ने प्रभु की आगवानी की, राजनगर से आगे तत्कालीन सिंहाड़ गांव में पीपल के नीचे रात्रि विश्राम हुआ। दूसरे दिन सुबह प्रस्थान के समय रथ का पहिया धंस गया। ज्योतिषियों ने कहा प्रभु यहां विराजना चाहते हैं। राणा की आज्ञा से देलवाड़ा नरेश ने महाप्रभु हरिरायजी की देखरेख में छोटा सा मंदिर बनवा कर आसपास की जमीन पट्टे पर दी गई।
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मथुरा गिरिराज पर्वत पर विक्रमाब्द 1466 को प्रातः काल सूर्योदय की प्रथम रश्मि के साथ उध्व भूजा के दर्शन होते है। वहीं पर उध्वभुजाजी ने 69 वर्ष तक अनेक सेवाएं स्वीकार की। इसके बाद विक्रमाब्द 1535 वैशाख कृष्ण एकादशी गुरुवार को मध्यान्ह काल में प्रभु के मुखारबिंद का प्राकट्य हुआ।अन्योर ग्राम के निवासी सद्द् पांडे की गाय स्वतः ही प्रतिदिन मुखरबिंद पर दूध की धार छोड़ आती थी।