New Year 2025 Vastu Tips in Hindi

New Year 2025 Vastu Tips in Hindi: नए साल की शुरुआत होने से पहले कर लें ये खास उपाय, सालभर पैसों से भरी रहेगी तिजोरी

New Year 2025 Vastu Tips in Hindi: नए साल की शुरुआत होने से पहले कर लें ये खास उपाय, सालभर पैसों से भरी रहेगी तिजोरी

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Modified Date: December 16, 2024 / 08:19 AM IST
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Published Date: December 16, 2024 7:31 am IST

New Year 2025 Vastu Tips in Hindi: कुछ ही दिनों में नए साल की शुरुआत होने जा रही है। ऐसे में अगर आप भी नए साल में अच्छे जीवन की कामना कर रहे हैं तो साल 2024 को अलविदा कहने से पहले कुछ वास्तु टिप्स जरूर फॉलो करें। इन उपायों से आपको आर्थिक तंगी, व्यापार में आ रही बाधाएं, तरक्की में रुकावट जैसे कई समस्याओं से छुटकारा मिलेगा।

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मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए करें श्री सुक्तम पाठ

ज्योतिष शास्त्रों के मुताबिक, नए साल पर माता लक्ष्मी की पूजा करने के साथ-साथ श्री सुक्तम का पाठ करें। यह एक वैदिक स्तोत्र है। आप नए साल पर माता लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करने के बाद भी इस स्तोत्रों का पाठ कर सकते हैं। इस पाठ को करना बेहद शुभ माना जाता है। इसमें ऋग्वेद का भी जिक्र किया गया है। इसके अलावा श्री सुक्तम का पाठ करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। इसमें महात्मय सहित 16 ऋचनाएं मानी गई है। इसमें बहुत सारे श्लोक दिए गए हैं, जिसे पढ़ने से धन, वैभव, सुख-समृद्धि और शांति प्राप्त होती है। देवी लक्ष्मी के आवाहन और उनके आशीर्वाद के लिए यह पाठ को अत्यंत शुभ माना जाता है, इसलिए नए साल के अवसर पर आप भी इस पाठ को करना ना भूलें।

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Sri Suktam Path 

ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं, सुवर्णरजतस्त्रजाम् ।
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं, जातवेदो म आ वह ।।
तां म आ वह जातवेदो, लक्ष्मीमनपगामिनीम् ।
यस्यां हिरण्यं विन्देयं, गामश्वं पुरूषानहम् ।
अश्वपूर्वां रथमध्यां, हस्तिनादप्रमोदिनीम् ।
श्रियं देवीमुप ह्वये, श्रीर्मा देवी जुषताम् ।।
कां सोस्मितां हिरण्यप्राकारामार्द्रां ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम् ।
पद्मेस्थितां पद्मवर्णां तामिहोप ह्वये श्रियम् ।।

चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्वलन्तीं श्रियं लोके देवजुष्टामुदाराम् ।
तां पद्मिनीमीं शरणं प्र पद्ये अलक्ष्मीर्मे नश्यतां त्वां वृणे ।।
आदित्यवर्णे तपसोऽधि जातो वनस्पतिस्तव वृक्षोऽक्ष बिल्वः ।
तस्य फलानि तपसा नुदन्तु या अन्तरा याश्च बाह्या अलक्ष्मीः ।।
उपैतु मां दैवसखः, कीर्तिश्च मणिना सह ।
प्रादुर्भूतोऽस्मि राष्ट्रेऽस्मिन्, कीर्तिमृद्धिं ददातु मे ।।
क्षुत्पिपासामलां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यहम् ।
अभूतिमसमृद्धिं च, सर्वां निर्णुद मे गृहात् ।।
गन्धद्वारां दुराधर्षां, नित्यपुष्टां करीषिणीम् ।
ईश्वरीं सर्वभूतानां, तामिहोप ह्वये श्रियम् ।।
मनसः काममाकूतिं, वाचः सत्यमशीमहि ।
पशूनां रूपमन्नस्य, मयि श्रीः श्रयतां यशः ।।

कर्दमेन प्रजा भूता मयि सम्भव कर्दम ।
श्रियं वासय मे कुले मातरं पद्ममालिनीम् ।।
आपः सृजन्तु स्निग्धानि चिक्लीत वस मे गृहे ।
नि च देवीं मातरं श्रियं वासय मे कुले ।।

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