धर्म। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में स्थित रतनपुर मां महामाया मंदिर की कहानी अनोखी है। 51 शक्तिपीठों से एक मां महामाया मंदिर की चौखट पर जो कोई भी आया खाली हाथ नहीं गया। आदिशक्ति मां महामाया के आशीर्वाद से भक्तों की हर मनोकाना पूरी हो जाती है। मन की मनौती लिए हर साल हजारों संख्या में भक्त माता के दरबार में आते हैं।
Read More News: निर्वाचन आयोग ने ममता को प्रचार से रोकने का निर्णय भाजपा के कहने पर लिया: शिवसेना प्रवक्ता का बड़ा आरोप
साल भर आदिशक्ति मां महामाया देवी में भक्तों को तांता लगा रहता है। वहीं चैत्र नवरात्रि के पावन मौके पर मंदिर की रौनक और बढ़ जाती है। जितनी अनोखी इस मंदिर की मान्यता है, उतनी अनोखी इस मंदिर की कहानी भी है। चलिए आपको बताते हैं..
Read More News: इस जिले के कलेक्टर ने छिपाई कोरोना संक्रमित होने की जानकारी, सरकार..
माना जाता है कि सती की मृत्यु से व्यथित भगवान शिव उनके मृत शरीर को लेकर तांडव करते हुए ब्रह्मांड में भटकते रहे। इस समय माता के अंग जहां-जहां गिरे, वहीं शक्तिपीठ बन गए। इन्हीं स्थानों को शक्तिपीठ रूप में मान्यता मिली। महामाया मंदिर में माता का दाहिना स्कंध गिरा था। भगवान शिव ने स्वयं आविर्भूत होकर उसे कौमारी शक्ति पीठ का नाम दिया था। इसीलिए इस स्थल को माता के 51 शक्तिपीठों में शामिल किया गया। यहां प्रात:काल से देर रात तक भक्तों की भीड़ लगी रहती है। माना जाता है कि नवरात्र में यहां की गई पूजा निष्फल नहीं जाती है।
Read More News: मध्यप्रदेश में 10वीं, 12वीं बोर्ड की परीक्षाएं रद्द, जानिए अब कब होंगे एग्जाम
राजा रत्नदेव ने बनाया था राजधानी
आदिशक्ति मां महामाया देवी की पवित्र पौराणिक नगरी रतनपुर का इतिहास प्राचीन एवं गौरवशाली है। त्रिपुरी के कलचुरियों की एक शाखा ने रतनपुर को अपनी राजधानी बनाकर दीर्घकाल तक छत्तीसगढ़ में शासन किया। राजा रत्नदेव प्रथम ने मणिपुर नामक गांव को रतनपुर नाम देकर अपनी राजधानी बनाया। श्री आदिशक्ति मां महामाया देवी मंदिर का निर्माण राजा रत्नदेव प्रथम द्वारा 11वी शताब्दी में कराया गया था।
Read More News: प्रदेश के इस जिले में 15 अप्रैल से लागू होगा 7 दिनों का कोरोना कर्फ्यू, क्राइसेज मैनेजमेंट ग्रुप की बैठक में बड़ा फैसला
यह बातें भी जानें
1045 ई में राजादेव रत्नदेव प्रथम मणिपुर नामक गांव में रात्रि विश्राम एक वट वृक्ष पर किया। अर्धरात्रि में जब राजा की आंख खुली तब उन्होंने वट वृक्ष के नीचे आलौकिक प्रकाश देखा यह देखकर चमत्कृत हो गए कि वहां आदिशक्ति श्री महामाया देवी की सभा लगी हुई है। इतना देखकर वे अपनी चेतना खो बैठे। सुबह होने पर वे अपनी राजधानी तुम्मान खोल लौट गए और रतनपुर को अपनी राजधानी बनाने का निर्णय लिया। 1050 ई में श्री महामाया देवी का भव्य मंदिर निर्मित कराया।
Read More News : सस्ता हुआ सोना, चांदी की कीमतों में भी भारी गिरावट, देखें आज का भाव