Navratri Ashtami 2022: हर तरफ माता रानी के भक्ति में लोग डूबे हुए हैं। भक्त माता की पूजा में लगे हुए हैं। चारों तरफ मातारानी के जयकारें गूंज रहे हैं। हर तरफ लोग भक्ति में सराबोर हैं। नवरात्रि के आखिरी दो दिनों में अष्टमी और नवमी आती है। इस दिन लोग व्रत खोलते हैं। इन दो दिनों में सबसे महत्वपूर्ण कार्य होता है कन्या पूजन। इस बार 03 अक्टूबर को महाष्टमी का कन्या पूजन होगा। इसे दुर्गाष्टमी भी कहते हैं। दुर्गाष्टमी के दिन मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप की आराधना की जाती है। इसलिए इसे महाष्टमी भी कहते हैं।
– विष्णु पुराण के अनुसार, अष्टमी पर पूजा के बाद दिन में सोना नहीं चाहिए। ऐसा करने से साधक को पूजा का फल नहीं मिलता है।
– नवरात्रि के दौरान ही सुबह स्नान के बाद माता रानी का पाठ किया जाता है, लेकिन अष्टमी के दिन सूर्योदय से पहले उठना शुभ होता है। इस दिन गलती से भी देर तक ना सोते रहें। अगर आपने व्रत नहीं भी रखा है तो भी उठकर स्नान करें और पूजा जरूर करें।
– अष्टमी के दिन हवन बिना पूजा करने की गलती ना करें। हवन किए बिना नवरात्रि की पूजा अधूरी मानी जाती है। ध्यान रखें कि हवन करते वक्त आहुति की सामग्री कुंड से बाहर ना जाए।
– अगर आपने अष्टमी का व्रत रखा है तो नवमी के दिन कन्या पूजन से पहले कुछ भी ना खाएं। कन्या पूजन और उन्हें विदा करने के बाद ही व्रत का विधिवत पारण करें। इससे माता रानी की कृपा बनी रहती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
– नवरात्रि की अष्टमी पर सच्चे मन से मां दुर्गा की आराधना करें। चालीसा, मंत्र या सप्तशती पढ़ते हुए बीच में किसी दूसरे से बात ना करें। ऐसा करने से पूजा का पूरा फल नहीं मिल पाता है। इसके अलावा माता की चौकी का समापन भी पूरे विधि विधान से करना चाहिए।
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