भोपाल।Navratri 6 Day Maa katyayani : नवरात्रि के छठवें दिन मां के छठे स्वरूप माता कात्यायनी की पूजा- अर्चना की जाती है। मां कात्यायनी ऋषि कात्यायन की तपस्या के फल स्वरुप उनकी पुत्री के रूप में प्रकट हुई थी, इसी रूप में मां ने महिषासुर का वध किया था। मां कात्यायनी की पूजा करने से जीवन की हर एक परेशानी दूर हो जाती है। मां कात्यायनी का जन्म कात्यायन ऋषि के घर हुआ था। इसलिए इन्हें कात्यायनी कहा जाता है। इनकी चार भुजाओं में अस्त्र-शस्त्र और कमल का पुष्प है। इनका वाहन सिंह है। ये ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं। गोपियों ने कृष्ण की प्राप्ति के लिए इन्हीं की पूजा की थी। बता दें कि नवरात्रि के दिनों में देवी मंदिरों के साथ ही घर-घर में भी नवरात्रि की पूजा कर माता की उपासना की जाती है।
पूजा विधि
मां कात्यायनी की पूजा के लिए सुबह स्नान के बाद साफ कपड़े पहनकर सूर्य देव को जल अर्पित करना चाहिए। उसके बाद शुभ मुहूर्त में मां कात्यायनी की पूजा शुरू करें। मां कात्यायनी का जल से अभिषेक करें। फिर मंत्रोच्चार के साथ उनको अक्षत्, लाल रंग के फूल, सिंदूर, लाल चुनरी, फल, धूप, दीप, शहद चढ़ाएं. मां कात्यायनी के बीज मंत्र का जाप कर सकते हैं। उसके बाद मां कात्यायनी की कथा पढ़ें और अंत में आरती करने के बाद जो भी मनोकामना है उसे माता के सामने कहना चाहिए।
लगाएं ये भोग
मां कात्यायनी को शहद काफी प्रिय है। इसलिए इनकी पूजा में भोग में शहद जरूर चढ़ाएं। इससे वह प्रसन्न होकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
करें इस मंत्र का जाप
1.मां देवी कात्यायन्यै नमः
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
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