Masik Shivratri 2024: क्या है पितृ पक्ष में पड़ने वाली मासिक शिवरात्रि का महत्व, जानिए इस व्रत को करने के लाभ और पूजा विधि |

Masik Shivratri 2024: क्या है पितृ पक्ष में पड़ने वाली मासिक शिवरात्रि का महत्व, जानिए इस व्रत को करने के लाभ और पूजा विधि

Masik Shivratri 2024: क्या है पितृ पक्ष में पड़ने वाली मासिक शिवरात्रि का महत्व, जानिए इस व्रत को करने के लाभ और पूजा विधि

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Modified Date: September 22, 2024 / 04:35 PM IST
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Published Date: September 22, 2024 4:35 pm IST

Masik Shivratri 2024: हिंदू धर्म में तीज त्योहार और व्रतों का विशेष महत्व है। इस समय पितृ पक्ष चल रहा है औस ऐसे में हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है कि यह पर्व शिवजी को समर्पित है।  इस दिन व्रत रखने के साथ-साथ भगवान शंकर की उपासना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। साथ ही जीवन में खुशहाली बनी रहती है।

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मासिक शिवरात्रि की तिथि

बता दें कि, इस बार मासिक शिवरात्रि का आरंभ 30 सितंबर को शाम 07:06 मिनट से हो रहा है, जिसका समापन अगले दिन 01 अक्टूबर को देर रात 09:39 मिनट पर होगा। ऐसे में उदयातिथि के आधार पर आश्विन माह की शिवरात्रि का व्रत 30 सितंबर 2024 को रखा जाएगा। इस दिन रात्रि काल में भोलेनाथ का वास शिवलिंग में होता है. कहते हैं इस रात शिवलिंग के स्पर्श मात्र से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।

पूजा का मुहूर्त

शिव जी की पूजा का शुभ मुहूर्त 30 सितंबर 2024 को रात 11 बजकर 47 मिनट से लेकर अगले दिन 1 अक्टूबर 2024 को प्रात: काल 12 बजकर 35 मिनट तक है।

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मासिक शिवरात्रि का महत्व

कहा जाता है कि, मासिक शिवरात्रि व्रत का हिंदुओं के बीच बड़ा धार्मिक महत्व है। यह दिन भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा के लिए समर्पित है। इस शुभ दिन पर, भक्त भक्ति और समर्पण के साथ भगवान शिव की पूजा करते हैं। साथ ही वे अपने परिवार की खुशहाली के लिए व्रत रखते हैं। मासिक शिवरात्रि वह दिन है, जब लोग विभिन्न प्रकार की धार्मिक गतिविधियां करते हैं। इसके अलावा लोग शिव मंदिर जाते हैं और रुद्राभिषेक और जलाभिषेक करते हैं।

पूजा विधि

मासिक शिवरात्रि के दिन प्रात: काल जल्दी उठें।

स्नान आदि कार्य करने के बाद शुद्ध वस्त्र धारण करें।

घर और मंदिर में गंगाजल का छिड़काव करें।

घर के मंदिर में एक चौकी रखें। उसके ऊपर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं शिव जी की मूर्ति स्थापित करें।

शिव जी का जलाभिषेक कर उन्हें बेल पत्र, फल, फूल और मिठाई का भोग लगाएं। इस दौरान शिव मंत्रों का जाप करें।

अंत में आरती करके पूजा का समापन करें।

सुबह पूजा करने के बाद निशा काल में भी भगवान शिव के मंत्रों का जाप करके पूजा करें।

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