Maruti Stotra ka Paath : श्री मारुति स्तोत्र की रचना न तो वैदिक में हुई है और न ही प्राचीन काल में। इतिहासकारों का मानना है कि 17वीं शताब्दी में मारुति स्तोत्र की रचना हुई है। इसके रचयिता समर्थ गुरु रामदास ने की है। वे एक महान संत और वीर छत्रपति शिवाजी महाराज के गुरु थे। उनका जन्म महाराष्ट्र में हुआ था। इसलिए उन्होंने मारुति स्तोत्र को मराठी में भी लिखा है। हालाँकि संस्कृत साहित्य में स्तोत्र किसी भी देवी-देवता की स्तुति में लिखे गए काव्य को कहते हैं। ऐसा माना जाता है कि समर्थ गुरु रामदास जी हनुमान जी भक्त थे और उन्हीं की भक्ति में उन्होंने मारुति स्तोत्र की रचना की। यह स्तोत्र नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर भगाने और कठिन चुनौतियों पर काबू पाने में विशेष रूप से प्रभावी है। अपने मन में हनुमान जी के प्रति सदा एक दृढ विश्वास और श्रद्धा बनाए रखें, वे सदा अपने भक्तो पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखतें हैं।
Maruti Stotra ka Paath
मारुति स्तोत्र, भगवान श्री राम जी के परम भक्त पवन पुत्र हनुमान जी को समर्पित है। मारुति स्तोत्रम बेहद ही प्रभावशाली स्तोत्र है, इस स्तोत्र के माध्यम से बजरंगबली का आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है और यदि जिस किसी भक्त के ऊपर अंजनि के लाल हनुमान जी का आशीर्वाद हो तो उसके जीवन में कोई भी संकट नहीं आता है। तुलसी दास जी ने हनुमान चालीसा में एक जगह लिखा है कि नासै रोग, हरै सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बल वीरा। यानि जो व्यक्ति हनुमान जी का स्मरण सच्चे हृदय से करता है उसके जीवन में आने वाली सारी विपदाएँ दूर हो जाती हैं। बजरंगबली हनुमान जी की कृपा से भक्त के ह्रदय से सभी तरह के भय का नाश होता है। भक्त के अन्दर एक आत्मविश्वास जागृत होता है. हनुमान जी के भक्त किसी भी संकट और मुश्किल परिस्थिति से कभी घबराता नहीं है। हनुमान जी की कृपा से वह सभी संकटों का सामना पूरी दृढ़ता और आत्मविश्वास के साथ करता है।
Maruti Stotra ka Paath : समर्थ गुरु रामदास जी ने स्तोत्र के पहले 13 श्लोकों में मारुति यानि हनुमान जी का वर्णन किया है। इसके बाद अंत के चार श्लोंकों में हनुमान के प्रति चरणश्रुति है साथ ही उन्होंने यह भी बताया है कि जो भक्त मारुति स्तोत्रम का पाठ करेगा उसे किस प्रकार के फल या लाभ प्राप्त होंगे। जो लोग मारुति स्तोत्रम का पाठ करते हैं, उनकी सभी परेशानियां, मुश्किलें और चिंताएं श्री हनुमान के आशीर्वाद से गायब हो जाती हैं। वे अपने सभी दुश्मनों और सभी बुरी चीजों से मुक्त हो जाते हैं। कहा जाता है कि इस स्तोत्रम में 1100 बार पाठ करने पर सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
Maruti Stotra ka Paath : आईये हम पढ़ें श्री मारुती स्तोत्र
मारुति स्तोत्र : Maruti stotra
भीमरूपी महारुद्रा, वज्र हनुमान मारुती।
वनारी अंजनीसूता, रामदूता प्रभंजना ।।1।।
महाबळी प्राणदाता, सकळां उठवीं बळें ।
सौख्यकारी शोकहर्ता, धूर्त वैष्णव गायका ।।2।।
दिनानाथा हरीरूपा, सुंदरा जगदंतरा।
पाताळ देवता हंता, भव्य सिंदूर लेपना ।।3।।
लोकनाथा जगन्नाथा, प्राणनाथा पुरातना ।
पुण्यवंता पुण्यशीला, पावना परतोषका ।।4।।
Maruti Stotra ka Paath
ध्वजांगे उचली बाहू, आवेशें लोटिला पुढें ।
काळाग्नी काळरुद्राग्नी, देखतां कांपती भयें ।।5।।
ब्रह्मांड माईला नेणों, आवळें दंतपंगती।
नेत्राग्नी चालिल्या ज्वाळा, भृकुटी त्राहिटिल्या बळें ।।6।।
पुच्छ तें मुरडिलें माथां, किरीटी कुंडलें बरीं।
सुवर्णकटीकासोटी, घंटा किंकिणी नागरा ।।7।।
ठकारे पर्वताऐसा, नेटका सडपातळू।
चपळांग पाहतां मोठें, महाविद्युल्लतेपरी ।।8।।
Maruti Stotra ka Paath
कोटिच्या कोटि उड्डाणें, झेपावे उत्तरेकडे ।
मंद्राद्रीसारिखा द्रोणू, क्रोधे उत्पाटिला बळें ।।9।।
आणिता मागुता नेला, गेला आला मनोगती ।
मनासी टाकिलें मागें, गतीस तूळणा नसे ।।10।।
अणूपासोनि ब्रह्मांडा, येवढा होत जातसे।
तयासी तुळणा कोठें, मेरुमंदार धाकुटें ।।11।।
ब्रह्मांडाभोंवते वेढे, वज्रपुच्छ घालूं शके।
तयासि तूळणा कैचीं, ब्रह्मांडीं पाहतां नसे ।।12।।
Maruti Stotra ka Paath
आरक्त देखिलें डोळां, गिळीलें सूर्यमंडळा ।
वाढतां वाढतां वाढे, भेदिलें शून्यमंडळा ।।13।।
धनधान्यपशुवृद्धी, पुत्रपौत्र समग्रही ।
पावती रूपविद्यादी, स्तोत्र पाठें करूनियां ।।14।।
भूतप्रेतसमंधादी, रोगव्याधी समस्तही ।
नासती तूटती चिंता, आनंदें भीमदर्शनें ।।15।।
हे धरा पंधराश्लोकी, लाभली शोभली बरी।
दृढदेहो निसंदेहो, संख्या चंद्रकळागुणें ।।16।।
Maruti Stotra ka Paath
रामदासी अग्रगण्यू, कपिकुळासी मंडण।
रामरूपी अंतरात्मा, दर्शनें दोष नासती ।।17।।
।। इति श्रीरामदासकृतं संकटनिरसनं मारुतिस्तोत्रं संपूर्णम् ।।
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