Mahamrityunjaya Mantra: सावन में करें महामृत्युंजय मंत्र का जाप, जीवन में होंगे कई चमत्कारी बदलाव, यहां देखें क्या है इसके नियम

Mahamrityunjaya Mantra: सावन में करें महामृत्युंजय मंत्र का जाप, जीवन में होंगे कई चमत्कारी बदलाव, यहां देखें क्या है इसके नियम

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  • Publish Date - July 26, 2024 / 07:50 PM IST,
    Updated On - July 26, 2024 / 07:57 PM IST

Mahamrityunjaya Mantra: हिंदू धर्म तीज-त्योहारों का विशेष महत्वा है। इस साल सावन 22 जुलाई से आरंभ हो गया है जिसका समापन 19 अगस्त को होगा। सावन का महीना बहुत ही शुभ माना जाता है क्योंकि इस दिन भगवान शिव की आराधना की जाती है। हिंदू धर्म में सावन का विशेष महत्व है। सावन में माह में घरों से लेकर शिव मंदिरों में भगवान शिव का जलाभिषेक व पूजा अर्चना की जाती है। ऐसी मान्यता होती है कि इस माह में भगवान शिव भक्तों से बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। इस माह में नियमित रूप से महामृत्युंजय मंत्र के जाप को भी बहुत फलदायक माना जाता है। ये ऐसे मंत्रों में से है जो भगवान शिव के पूजन में बहुत प्रभावशाली होता है। ऐसी भी मान्यता है कि जो लोग इस मंत्र का जाप पूरे श्रद्धा भाव से करते हैं उनकी सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है।

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 महामृत्युंजय मंत्र

ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ।

महामृत्‍युंजय मंत्र का अर्थ

इस पूरे संसार के पालनहार, तीन नेत्र वाले भगवान शिव की हम पूजा करते हैं। इस पूरे विश्‍व में सुरभि फैलाने वाले भगवान शंकर हमें मृत्‍यु के बंधनों से मुक्ति प्रदान करें, जिससे कि मोक्ष की प्राप्ति हो जाए।

महामृत्युंजय मंत्र के नियम

महामृत्‍युंजय मंत्र का जप कभी भी जमीन पर बैठकर न करें। हमेशा कोई आसन का प्रयोग करें। कुश का आसन प्रयोग करना सबसे अच्‍छा माना जाता है।

इस मंत्र का जप करने के लिए घर में या फिर मंदिर कोई जगह निर्धारित करें और रोजाना उसी स्‍थान पर बैठकर इस मंत्र का जप करें।

सदैव पूर्व दिशा की ओर मुख करके इस मंत्र का जप करें। मंत्र का जप करते समय मन को एकाग्रचित रखें।

जितने दिन इस मंत्र का जप करें उतने दिन प्‍याज लहसुन और मांसाहार का प्रयोग भूलकर भी न करें।

महामृत्‍युंजय मंत्र का जप करते समय ध्‍यान रखें कि इसका उच्‍चारण ठीक से हो और रोजाना इस मंत्र के जप की संख्‍या बढ़ाएं, कम न करें।

इस मंत्र का जप करते समय धूप और दीपक को सदैव जलाकर रखें।

इस मंत्र का जप करने के लिए सदैव रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करें।

 

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क्या है इस मंत्र के लाभ

भगवान शिव के अनेक स्वरूपों में एक महामृत्युंजय स्वरूप भी है। महादेव को मृत्युंजय भी कहा जाता है। वहीं महामृत्युंजय मंत्र में भगवान शिव के महामृत्युंजय स्वरूप से आयु की रक्षा प्रार्थना की गई है। शास्त्रों के अनुसार, इस मंत्र में अकाल मृत्यु तक को टालने की शक्ति होती है। मृत्यु निश्चित है लेकिन ग्रंथों के अनुसार इसका नियम अनुसार पालन किया जाए तो व्यक्ति मृत्यु के मुंह से भी बाहर आ सकता है। इसके उच्चारण से भक्तों को लंबी आयु मिलती है। ये भय, रोग,कष्ट सबको दूर करता है। सावन में महामृत्युंजय मंत्र की शक्ति और भी बढ़ जाती है। धर्म ग्रथों और शास्त्रों की मानें तो महामृत्‍युंजय मंत्र का जप करने से अनेक रोगों से मुक्ति मिल सकती है। पापों से छुटकारा मिलता है।

 

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