धर्म । मौत पर विजय देने वाले को महामृत्युंजय कहा जाता है, ये एक ऐसा मंत्र है जिससे मृत्यु को टाला जा सकता है। शिवपुराण में इस मंत्र का जिक्र है। इस मंत्र के बारे में अधिकांश लोग जानते हैं। आज हम आपको ऐसे शिव मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो अपने आप में अनोखा है। इस मंदिर में विराजित शिवलिंग का नाम महामृत्युंजय है, ये अपने आप में इकलौता शिव मंदिर है।
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ये शिवलिंग रीवा के किला परिसर में स्थापित है। इस मंदिर की विशेषता यह है यहां जिस शिवलिंग की स्थापना हुई है, वो दूसरे शिवलिंगों से बिल्कुल अलग है। इस शिवलिंग में 1001 छिद्र हैं, जिनके दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग यहां आते हैं। किवदंतियों की माने तो इस शिवलिंग में अद्भुत चमत्कारिक शक्ति है। महामृत्युजंय स्वयंभू हैं इनके सहस्त्र नेत्र हैं और इनकी महिमा अपंरपार हैं। इस शिवलिंग की दिन में तीन बार पूजा और अभिषेक किया जाता है।
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सूरज निकलते ही सुबह पांच बजे, 12 बजे मंदिर बंद होते वक्त और शाम को इस मंदिर में आरती होती है। शिवलिंग पर बेलपत्र, नारियल, धतूरे, मदार के फूल और पत्ते चढाकर दूध, दही और शहद अर्पित कर आरती की जाती है। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव को ये फूल और सामग्री अतिप्रिय है इसे चढाने से महामृत्युजंय अतिशीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं। इन्हें 11 बेल पत्तों अथवा मदार के पत्ते में चंदन से ओम और राम लिखकर चढ़ाया जाता है, तत्पश्चात जाप और तप किया जाये तो ज्यादा प्रभाव होता है।
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महामृत्युजंय के जाप से सर्व मनोकामना पूरी होती है, इसी मान्यता के कारण श्रद्धालु दूर-दूर से महामृत्युंजय के दर्शन के लिए दौड़े चले आते हैं। महामृत्युजंय का ऐसा प्रताप है कि भक्तों को अल्प समय मे ही फल की प्राप्ति हो जाती है। इसी आस्था और विश्वास के साथ प्रतिदिन भक्त माथा टेकने इस मंदिर में आते हैं। विशेष मौकों पर इस मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है।सोमवार के दिन तो यहां भक्त आते ही हैं,लेकिन शिवरात्रि,बसंत पंचमी और नागपंचमी के समय इस मंदिर का नजारा किसी मेले से कम नहीं होता।