Mahakal Panch Mukharvind Shringar: साल में केवल एक बार इस दिन बाबा महाकाल लेते हैं पंच मुखारविंद का स्वरूप, दर्शन मात्र से जन्मों जन्मांतर के पापों से मिलती है मुक्ति

Mahakal Panch Mukharvind Shringar: इस दिन बाबा महाकाल लेते हैं पंच मुखारविंद का स्वरूप, जन्मों जन्मांतर के पापों से मिलती है मुक्ति

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  • Publish Date - March 11, 2024 / 05:33 PM IST,
    Updated On - March 11, 2024 / 05:33 PM IST

Mahakal Panch Mukharvind Shringar: देशभर में लाखों लोग देवों को देव महादेव के भक्त हैं। हर सोमवार को भक्त महादेव की भक्ति में लीन रहते हैं। बता दें कि भगवान महाकाल की पूजा बेहद शुभ और कल्याणकारी मानी जाती है। ऐसी मान्यता है कि शिव जी की पूजा से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। महाशिवरात्रि और सावन महीने में महादेव का महत्व और भी बढ़ जाता है। लेकिन, इसके अलावा भी एक ऐसा दिन है, जिसका भक्त बेसर्बी से इंतजार करते रहते हैं। दरअसल, महाशिवरात्रि के बाबा महाकाल एक ऐसा रूप धारण करते हैं, जिसमें उनके पांच स्वरूपों के दर्शन होते हैं। इस पल का इंतजार शिव भक्तों को पूरे साल होता है। आइए जानते हैं…

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किस दिन होता है पंच मुखारविंद श्रृंगार 

बता दें कि महाशिवरात्रि के बाद फाल्गुन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर चंद्र दर्शन के दिन बाबा महाकाल पंच मुखारविंद शृंगार में दर्शन देते हैं। इस पंच मुखारविंद शृंगार में उन्हें एक साथ पांच मुखारविंद धारण कराया जाता है, जिसमें छबीना, मनमहेश, उमा-महेश, होलकर व शिव तांडव रूप शामिल होता है। बता दें कि बाबा महाकाल साल में केवल एक बार ही इस रूप में दर्शन देते हैं। कहा जाता है कि जो लोग भोलेनाथ के इस स्वरूप का दर्शन करते हैं उन्हें जन्मों जन्मांतर के पापों से मुक्ति मिलती है। साथ ही पूरी शिवनवरात्रि का पुण्य फल प्राप्त होता है।

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पंच मुखारविंद स्वरूप के चमत्कारी रहस्य

मनमहेश – इस नाम का तात्पर्य है कि मन को मोह लेने वाले महेश। भोलेनाथ के इस स्वरूप को महाकाल मंदिर में मनमहेश मुखारविंद कहा जाता है।

उमा-महेश – महाकाल बाबा के इस मुखारविंद में शिव-पार्वती के एक साथ दर्शन होते हैं। इस रूप में महादेव की गोद में मां पार्वती विराजित होती हैं, इसलिए इस मुखारविंद का नाम उमा-महेश रखा गया है।

शिव तांडव – इस मुखारविंद में भगवान महाकाल तांडव करते हुए दिखाई देते हैं, जिसके चलते इस रूप का नाम शिव तांडव रखा गया।

होलकर – इस मुखारविंद को होलकर राजवंश द्वारा बनवाया गया था, जिसके चलते इसे होलकर स्वरूप कहा जाता है।

छबीना – इस मुखारविंद में महाकाल बाबा के सबसे खूबसूरत स्वरूप के दर्शन होते हैं। यही वजह है कि इसे छबीना शृंगार कहा जाता है।

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