नई दिल्ली। Shamshaan Me Mahadev Ka Nivas : सनातन धर्म में सावन के पवित्र माह को भगवान शिव का महीना माना जाता है। सावन में भगवान शिव की पूजा की जाती है। शिव के अलग-अलग स्वरूपों की इस महीने पूजा की जाती है। शिव अपने कई स्वरूपों में एक श्मशान के देवता भी हैं। वह गृहस्थ हैं, लेकिन श्मशान में निवास करते हैं। आखिर ऐसा क्यों है कि शिव श्मशान में रहते हैं। इससे वह संसार को क्या संदेश देना चाहते हैं?
Shamshaan Me Mahadev Ka Nivas : सनातन धर्म में भगवान शिव को सबसे रहस्यमयी देवता माना गया है। उनकी वेश-भूषा ब्रह्मदेव और भगवान विष्णु से बिलकुल अलग है। शिव पुराण के अनुसार, गृहस्थ शिवजी के परिवार में माता पार्वती, भगवान गणेश, कार्तिकेय जी और नंदी शामिल हैं। गृहस्थ होते हुए भी उनका स्वरूप एकदम उलटा है। जहां, वह कैलाश पर सपरिवार रहने के कारण कैलाशपति कहलाते हैं। वहीं, श्मशान के एकांत में रहने के कारण उन्हें श्मशान का देवता भी कहा जाता है। वह कीमती वस्त्र और आभूषणों के बजाय विता की भस्म धारण करते हैं।
सबसे पहले समझते हैं कि भगवान शिव श्मशान में क्यों रहते हैं? शिवजी को सामान्य तौर पर परिवार का देवता कहा जाता है। इसलिए ज्यादातर गृहस्थ लोग शिव परिवार की प्रतिमाएं या तस्वीरें अपने पूजाघरों में रखते हैं। लेकिन, वे सांसारिक होते हुए भी श्मशान में रहते हैं।
दरअसल, पूरा संसार या आपका परिवार मोह-माया का प्रतीक है। वहीं, श्मशान वैराग्य का प्रतीक माना जाता है। अगर आप किसी के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए श्मशान गए होंगे तो आपने ये जरूर सोचा होगा कि जिंदगी भर की भागदौड़ का अंत ये है। सनातन धर्म में इस सोच को क्षणिक वैराग्य कहा गया है। भगवान शिव के श्मशान में रहने के पीछे हर प्राणी के जीवन प्रबंधन का सूत्र छुपा है।
शिव के श्मशान में रहने को लेकर धार्मिक मान्यता भी है। दरअसल, सनातन धर्म में शिवजी को सृष्टि का संहारक माना गया है। मान्यताओं के अनुसार, ये सृष्टि बनती और बिगड़ती रहती है। भगवान ब्रह्मा सृष्टि की रचना करते हैं। भगवान विष्णु सृष्टि का पालन करते हैं। वहीं, भगवान शिव कलियुग का अंत होने पर सृष्टि का संहार करते हैं।
वहीं, हम सभी जानते हैं कि श्मशान में जीवन का अंत होता है। वहां सबकुछ भस्म हो जाता है। इसीलिए शिवजी का निवास ऐसी जगह है, जहां मानव शरीर, उस शरीर से जुड़े सभी रिश्ते, हर मोह और सभी तरह के बंधन खत्म हो जाते हैं। जीवों की मृत्यु के बाद आत्मा शिव में ही समा जाती है। इसलिए शिव श्मशान में वास करते हैं और श्मशान के देव कहलाते हैं।
आपने कभी सोचा है कि महादेव अपने शरीर पर भस्म ही क्यों लगाते हैं? वह भी किसी लकड़ी की भस्म नहीं, बल्कि चिता की भस्म ही क्यों लगाते हैं? धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान शिव को मृत्यु का स्वामी माना गया है। उनके अनुसार शरीर नश्वर है और एक दिन जलकर भस्म में बदल जाएगा। जीवन के इसी पड़ाव का भगवान शिव सम्मान करते हैं। इस सम्मान को वो अपने शरीर पर भस्म लगाकर प्रकट करते हैं। इससे हमें ये संदेश भी मिलता है कि इस शरीर पर गर्व नहीं करना चाहिए। सुंदर से सुंदर व्यक्ति भी मृत्यु के बाद भस्म बन जाएगा।
वहीं, शिव भस्म को लगाकर उसकी पवित्रता को सम्मान देते हैं। माना जाता है कि शव को जलाने के बाद बची हुई राख में उसके दुख, सुख, बुराई, अच्छाई भस्म हो जाती हैं। इसलिए चिता की भस्म को शिव पवित्र मानकर धारण करते हैं।