Chaitra Navratri 2023: नवरात्रि के 6वें दिन मां कात्यायनी की करें पूजा, दूर होगी विवाह की बाधा, जानें मंत्र के साथ विशेष बातें

Maa Katyayani is worshiped on the 6th day of Navratri मां कात्यायनी की पूजा से विवाह संबंधी मामलों के लिए अचूक मानी गई है।

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  • Publish Date - March 26, 2023 / 05:11 PM IST,
    Updated On - March 26, 2023 / 05:11 PM IST

Maa Katyayani is worshiped : मां दुर्गा की छठी शक्ति मां कात्यायनी को समर्पित है। ऋषि कात्यायन की पुत्री होने के कारण इनका नाम कात्यायनी रखा गया। मां कात्यायनी की पूजा से विवाह संबंधी मामलों के लिए अचूक मानी गई है।

देवी की पूजा से मनचाहा वर और प्रेम विवाह की सभी अड़चने दूर हो जाती है। ये ब्रज मंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं। कहते हैं देवी कात्यायनी जिस पर प्रसन्न हो जाएं उसे अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं चैत्र नवरात्रि के छठे दिन यानी 27 मार्च 2023 को मां कात्यायनी की पूजा विधि, मंत्र, उपाय और मुहूर्त

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चैत्र नवरात्रि 2023 छठवें दिन का मुहूर्त

चैत्र शुक्ल षष्ठी तिथि शुरू – 26 मार्च 2023, दोपहर 04.32

चैत्र शुक्ल षष्ठी तिथि समाप्त – 27 मार्च 2023, शाम 05.27

गोधूलि मुहूर्त – शाम 06.35 – शाम 06.58

मां कात्यायनी की पूजा के शुभ योग

रवि योग – सुबह 06.18 – दोपहर 03.27
सर्वार्थ सिद्धि योग – पूरे दिन
अमृत सिद्धि योग – 27 मार्च 2023, दोपहर 03.27 – 28 मार्च 2023, सुबह 06.16
आयुष्मान योग – 26 मार्च 2023, रात 11.33 – 27 मार्च 2023, रात 11.20

मां कात्यायनी की पूजा विधि

Maa Katyayani is worshiped : मां कात्यायनी का संबंध बृहस्पति और आंशिक संबंध शुक्र से भी है। ऐसे में इनकी पूजा में पीले रंग का ज्यादा प्रयोग करें। देवी कात्यायनी की उपासना गोधूलि वेला में करें। इस समय दूध में केसर मिलाकर देवी कात्यायनी का अभिषेक करें। रोली, मौली, हल्दी, अक्षत, फूल अर्पित करें। ॐ देवी कात्यायन्यै नमः का एक माला जाप करें। आरती करें और फिर जागरण कर देवी के भजन-कीर्तन करें।

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मां कात्यायनी का भोग

माता को शहद का भोग बहुत प्रिय है।

प्रिय रंग – पीला
प्रिय भोग – शहद

मां कात्यायनी की आरती

जय जय अंबे जय कात्यायनी ।
जय जगमाता जग की महारानी ।।

मां कात्यायनी के मंत्र

क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम:
चंद्र हासोज्ज वलकरा शार्दू लवर वाहना कात्यायनी शुभं दद्या देवी दानव घातिनि
या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

 

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