Luck of this zodiac sign will change with Magha Nakshatra: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 17 से 30 अगस्त के बीच मघा नक्षत्र रहने वाला है। 27 नक्षत्रों में कुछ नक्षत्र ऐसे हैं, जिनके नाम से हिंदी महीनों के नाम भी हैं। जैसे- मघा से माघ। मघा शब्द का अर्थ होता है बलवान, महान, शक्तिशाली। इस नक्षत्र का चिह्न हसिया के आकार का होता है, जिसका उपयोग फसल काटने में किया जाता है। माना जाता है कि इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले पूर्व जन्म लगाई गई पुण्य कर्मों की फसल को इस जन्म में हसिया से काटते हैं। यह शुभ कार्य करते हुए स्वास्थ्य, सम्मान, सत्ता, सुख पाते हैं।
सिंह राशि में होता है मघा नक्षत्र
यह नक्षत्र सिंह राशि में होता है, इसलिए जिन लोगों की सिंह राशि है, उनका मघा नक्षत्र हो सकता है। 17 अगस्त को सिंह राशि में सूर्य के प्रवेश के समय शनि अति वक्री गति का होने से भी वर्षा होगी। इनके देवता पितर होते हैं, जो अब इस संसार में तो नहीं हैं, किंतु उनकी कीर्ति अवश्य है। पितरों को प्रसन्न रखने से देवता भी प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं। मघा नक्षत्र वाले व्यक्ति पैतृक गुणों की संपदा, संस्कार पाकर अपनी उन्नति करते हैं।
मघा नक्षत्र में जन्में जातक का व्यवहार
इस नक्षत्र में जन्मे जातकों को पितृ पक्ष में पूर्वजों का श्राद्ध अवश्य करना चाहिए, इससे उनको यश कीर्ति प्राप्त होती है। इस नक्षत्र का व्यक्ति राजा के समान धन, वैभव, मान, प्रतिष्ठा, उच्च अधिकार प्राप्त करता है। यह लोग अपने जन्म को यानी अपने वर्तमान को बहुत अच्छे से संवारने का काम करते हैं। ऐसे व्यक्तियों को ऑफिस में उन्नति प्राप्त होती रहती है और सामाजिक दायित्व का निर्वाह करने में बहुत सुख और शांति का अनुभव करते हैं। पुरानी वस्तुएं या कोई भी पुरातन चीज को संभाल कर रखना पसंद होता है। यह अपने से ऊपर की पीढ़ियों के व्यक्ति यानी पूर्वजों को याद कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते रहते हैं।
मघा नक्षत्र वालें क्या न करें
इस राशि के जातकों को हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए कि मघा नक्षत्र में किसी को धन उधार नहीं देना चाहिए, अन्यथा हानि होती।
इस नक्षत्र वाले लोगों को अपनी सुख समृद्धि सत्ता और शक्ति का दंभ कभी नहीं करना चाहिए।
इस नक्षत्र की वनस्पति है बरगद का पेड़ और वट वृक्ष। आपको बरगद का पेड़ ही नहीं लगाना चाहिए बल्कि उनकी सेवा भी करना चाहिए। बरगद के पेड़ को नित्य प्रणाम करें क्योंकि इसमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश त्रिदेव का वास रहता है।
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