रायपुर: Lord Shri Krishna’s predictions सनतान धर्म में श्रीमद्भगवद् गीता, रामायण, वेद सहित धर्म ग्रंथों का बेहद अहम महत्व है। सदियों पहले रचित इन ग्रथों में कई ऐसी बातें लिखी गई हैं जो आज भी सच साबित होती है। श्रीमद्भगवद् गीता में श्री कृष्ण ने कहा था कि ‘परिवर्तन ही सृष्टि का नियम है।’ जो आज के समय में सच साबित हो रही है। जैसे-जैसे युग बदलता है, तो आसपास के संसार में भी बदलाव देखने को मिलता है।
Lord Shri Krishna’s predictions श्रीमद्भगवद् गीता के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने पांडवों को बताया था कि कलयुग में संसार में कई बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे, जो त्रेता युग से बेहद अलग होगा। भगवान श्री कृष्ण ने इंसानों को लेकर भी कई अहम भविष्यवाणियां की थी, जो आज भी सच साबित हो रहें और ये बात स्त्री-पुरुष के रोजाना के बर्ताव में देखने को मिलता है। तो चलिए जानते हैं भगवान श्री कृष्ण ने स्त्री-पुरुष से जुड़ीं क्या भविष्यवाणियां की थी।
श्रीकृष्ण की भविष्यवाणी के अनुसार कलयुग में जर, जोरू और जमीन के लिए घर में घर में लड़ाई होगी। लोग आपस में ही जमीन—जायदाद के लिए एक दुसरे के जान के दुश्मन बन जाएंगे और रिश्तों का लिहाज भी नहीं करेंगे। पिता पुत्र को और पुत्र पिता की हत्या करेंगे। धन-संपत्ति और भूमि के लिए हत्या करना एक आम बात बन जाएगी। छोटी-छोटी बातों पर पुरुष बदले की आग में जलकर विनाश की ओर बढ़ेंगे।
कलयुग के बारे में श्रीकृष्ण कहते हैं कि कलयुग में पुरुष स्त्रियों को हीन दृष्टि से देखेंगे और उनका उपहास उड़ाएंगे। स्त्रियों के बारे में अपमानजनक बातें करके अपने आपको गर्वित महसूस करेंगे। उन्हें हर तरह से स्त्रियां खुद से कम ही नजर आएंगी। पुरुष अपनी गौरव गाथा गाकर महिलाओं के त्याग और साहस को अनदेखा करेंगे।
श्रीकृष्ण कहते हैं कि कलयुग में पुरुष स्त्रियों के गुणों को अनदेखा करके केवल सुंदरता को महत्व देते हुए स्त्री को उपभोग की वस्तु समझेंगे। पुरुष चरित्रवान स्त्रियों का महत्व नहीं समझेंगे और मर्यादा को तोड़ते हुए अपने आनंद के लिए ही स्त्री का साथ चाहेंगे।
भगवान श्री कृष्ण ने स्त्रियों को लेकर भी भविष्यवाणी की है। भविष्यवाणी की मानें कलयुग में पुरुषों को ही नहीं बल्कि स्त्रियों को भी धन का लालच रहेगा। स्त्रियां धनहीन के बजाए धनवान पुरुषों को पसंद करेंगी। स्त्रियां धनवान पति की कामना करते हुए उनके अवगुणों को अनदेखा करेंगी।
कलियुग में स्त्रियां अन्य स्त्रियां की पीड़ा समझने की बजाय उनके ही कष्टों का कारण बनेगी। स्वंय को बलवती दिखाने के लिए स्त्रियां ही स्त्रियों का शोषण करेंगी और गुणवती स्त्रियों का उपहास उड़ाकर समाज में अपने आपको सभ्य और ऊंचा दिखाने का प्रयास करेंगी।