Lord Shiva grace will remain in Guru Pradosh Vrat : आषाढ़ का पहला प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाएगा। यह व्रत गुरुवार को पड़ रहा है, इसलिए यह गुरु प्रदोष व्रत है। इस व्रत को करने वाले को अपने दुश्मनों पर विजय प्राप्त होती है। इस दिन शिव पूजा के साथ विष्णु पूजा का भी योग है क्योंकि बृहस्पतिवार दिन श्रीहरि के व्रत और भक्ति का दिन है। प्रदोष व्रत वाले दिन सुबह से रात सुकर्मा योग है।
धार्मिक मान्यता है इस दिन भोलेबाबा की पूजा करने से भक्तों को मनवांछित फल मिलता है। जो भी भक्त इस दिन भोलेबाबा की पूजा-पाठ करते हैं। उन पर भगवान शिव खुश होकर उनकी सारी परेशानियों को दूर होने का आशीर्वाद देते हैं। प्रदोष व्रत में भगवान शिव को पूजा जाता है। माना जाता है कि भगवान शिव को पूजने से घर में सुख शांति का माहौल बना रहता है।
प्रदोष काल भगवान शिव की अराधना के लिए काफी शुभ माना जाता है। ऐसे में प्रदोष व्रत वाले दिन सुबह तड़के उठकर स्नान करें। इसके बाद व्रत करने का संकल्प लें। उसके बाद पूरे दिन भगवान शिव के नाम का का जाप करें। इसके बाद शाम को दोबारा स्नान करें और फिर प्रदोष काल में शिव पूजा शुरू करें।
वहीं, पूजा के बाद भगवान शिव को पंचामृत और जल से नहलाएं और फिर दीप जलाकर पूजा शुरू करें। पूजा करने के दौरान भोले बाबा पर बेलपत्र, धतूरा, भांग, रुद्राक्ष, गंगाजल और भांग चढ़ाएं, जिससे महादेव पर काफी खुश होते हैं।
15 जून को गुरु प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त 2 घंटे का है। आप शिव पूजा शाम 07 बजकर 20 मिनट से रात 09 बजकर 21 मिनट के बीच कर सकते हैं। उस दिन पूजा के समय अमृत-सर्वोत्तम शाम 07 बजकर 20 मिनट से रात 08 बजकर 36 मिनट तक है।
Lord Shiva grace will remain in Guru Pradosh Vrat : प्रदोष व्रत के दिन पूजा घर की अच्छे से साफ-सफाई करें। उस जगह पर गंदगी बिल्कुल न फैलाएं। इस दिन तामसिक भोजन न खाएं, जिसमें मांस-मदिरा आदि से दूरी बनाकर रहें। इसके अलावा घर में लड़ाई-झगड़ा न करें। इसके साथ सुबह देर तक न सोए और बिना स्नान करें बिना बाबा भोले की तस्वीर को न छुएं। इस दौरान पूजा करने वाले लोग काले कपड़े बिल्कुल न पहनें।
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