Krishna Aarti : भगवान श्री कृष्ण ने बचपन में अनेक लीलाएं की। बाल श्री कृष्ण सभी का मन मोह लिया करते थे। नटखट स्वभाव के चलते यशोदा मां के पास उनकी हर रोज शिकायत आती थी। मां उन्हें कहती थी कि प्रतिदिन तुम माखन चुरा के खाया करते हो, तो वह तुरंत मुंह खोलकर मां को दिखा दिया करते थे कि मैंने माखन नहीं खाया। श्री कृष्ण की मनमोहक अदाओं पर गोपियां यानी बृजबालाएं लट्टू थीं। कान्हा की मुरली का जादू ऐसा था कि गोपियां अपनी सुतबुत गंवा बैठती थीं। गोपियों के मदहोश होते ही शुरू होती थी कान्हा के मित्रों की शरारतें। जन्माष्टमी पर आवश्य पढ़ें ये मनमोहक आरती और आनंद लें कान्हा की लीलाओं का ।
Krishna Aarti : आईये पढ़तें हैं आरती श्री कृष्ण कन्हैया की
आरती श्रीकृष्ण कन्हैया की,
मथुरा-कारागृह-अवतारी,
गोकुल जसुदा-गोद-विहारी,
नंदलाल नटवर गिरिधारी,
वासुदेव हलधर-भैयाकी।।…..आरती श्रीकृष्ण कन्हैया की।।
Krishna Aarti
मोर-मुकुट पीताम्बर छाजै,
कटि काछनि, कर मुरलि विराजै,
पूर्ण सरद ससि मुख लखि लाजै,
काम कोटि छबि जितवैयाकी।।…..आरती श्रीकृष्ण कन्हैया की।।
Krishna Aarti
गोपीजन-रस-रास-विलासी,
कौरव-कालिय-कंस-बिनासी,
हिमकर-भानु-कृसानु-प्रकासी,
सर्वभूत-हिय-बसवैयाकी।।…..आरती श्रीकृष्ण कन्हैया की।।
Krishna Aarti
कहुं रन चढ़ै भागि कहुं जावै,
कहुं नृप कर, कहुं गाय चरावै,
कहुं जागेस, बेद जस गावै,
जग नचाय ब्रज-नचवैयाकी।।…..आरती श्रीकृष्ण कन्हैया की।।
Krishna Aarti
अगुन-सगुन लीला-बपु-धारी,
अनुपम गीता-ज्ञान-प्रचारी,
‘दामोदर’ सब बिधि बलिहारी,
बिप्र-धेनु-सुर-रखवैयाकी।।…..आरती श्रीकृष्ण कन्हैया की।।
———समाप्त———
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