गंगा सप्तमी शुभ मुहूर्त: हिंदू धर्म में हर एक पर्व का बड़ा महत्व होता है। हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को गंगा सप्तमी मनाया जाता है। गंगा हिंदुओं की सबसे पवित्र नदी कही गई है। गंगाजल सप्तमी को गंगा स्नान, पूजा-पाठ और दान-पुण्य के कार्यों बेहद शुभ माने जाते हैं। इस वर्ष भी हर साल की तरह गंगा सप्तमी मनाया जाएगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बताएं कि इस दिन कई शुभ योग बन रहे हैं, जिसके चलते इसका महत्व और भी बढ़ गया है। चलिए आज हम आपको गंगा सप्तमी की सही तारीख के साथ पूजा विधि बताएंगे।
पंचांग के अनुसार, इस बार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष सप्तमी तिथि 13 मई, सोमवार की रात 02:50 से 15 मई, बुधवार की सुबह 04:19 तक रहेगी। इस हिसाब से सप्तमी तिथि का सूर्योदय 14 मई, मंगलवार को होगा और ये तिथि दिन भर भी रहेगी। इसलिए गंगा सप्तमी का पर्व 14 मई, मंगलवार को मनाया जाएगा। इस दिन पुष्य नक्षत्र भी रहेगा और वर्धमान व आनंद नाम के शुभ योग भी बनेंगे, जिससे इस पर्व का महत्व और भी बढ़ गया है।
पुराण के अनुसार, गंगा नदी पर्वतों का राजा हिमालय और मैना की पुत्री हैं। इन्हें देवी पार्वती का बहन भी कहा जाता है। इनका सर्वप्रथम स्थान परमपिता ब्रह्मा के कमंडल में था। वैशाख शुक्ल सप्तमी तिथि को ही गंगा ब्रह्माजी के कमंडल से निकलकर स्वर्ग लोक में प्रवाहित हुईं। तभी से इस तिथि पर हर साल गंगा सप्तमी का पर्व मनाया जाता है।
– गंगा सप्तमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद हाथ में जल-चावल लेकर व्रत-पूजा का संकल्प लें।
– घर में किसी साफ स्थान पर एक पटिए के ऊपर लाल कपड़ा बिछाकर देवी गंगा की तस्वीर या प्रतिमा स्थापित करें।
– अगर तस्वीर या प्रतिमा न हो तो एक कलश में गंगा जल लेकर इसे भी पूजा स्थान पर स्थापित कर सकते हैं।
– देवी के चित्र पर कुमकुम से तिलक लगाएं, फूलों की माना पहनाएं, शुद्ध घी का दीपक लगाएं और हाथ जोड़कर प्रणाम करें।
– इसके बाद अबीर, गुलाल, चावल, फूल, हल्दी, मेहंदी आदि चीजें एक-एक करके देवी गंगा के चित्र पर चढ़ाते रहें।
– इच्छा अनुसार देवी गंगा को भोग लगाएं और अंत में विधि पूर्वक आरती करें। इससे आपकी हर इच्छा पूरी हो सकती है।