Publish Date - July 9, 2024 / 12:43 PM IST,
Updated On - July 9, 2024 / 01:15 PM IST
Kanwar Yatra ke Niyam: हिंदू धर्म में सावन के महीने का खास महत्व होता है। यह महीना भगवान शिव को समर्पित है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, सावन में शिव जी की आराधना करने से जातक को मनचाहे फल की प्राप्ति होती है। इस बार 22 जुलाई से सावन महीने की शुरुआत हो रही है। इसी माह कांवड़ यात्रा भी होती है। ऐसे में अगर आप भी कांवड़ यात्रा करने जा रहे हैं तो इससे जुड़े जरूरी नियमों के बारे में जरूर जान लें..
बता दें कि कांवड़ यात्रा करने वालों को कांवड़िया कहा जाता है। कावड़ यात्रा के दौरान भक्त गंगाजल भरकर शिवलिंग पर चढ़ाते हैं। नदी से जल उठाने और शिवालय तक जाने की इस यात्रा को कांवड़ यात्रा कहा जाता है। हालांकि कांवड़ यात्रा भी 4 तरह की होती है। इसमें सामान्य, डाक, खड़ी और दांड़ी कांवड़ यात्रा होती है।
कांवड़ यात्रा के लिए गंगा या फिर किसी पवित्र नदी का जल ही कांवड़ में भरा जाता है।
कांवड़ में कुंआ या तालाब का जल नहीं भरना चाहिए।
कांवड़ को स्नान के बाद ही स्पर्श करना चाहिए।
कांवड़ यात्रा में कांवड़ियों को पैदल यात्रा करनी चाहिए।
कांवड़ यात्रा के दौरान सात्विक भोजन करना चाहिए। यात्रा के दौरान नशा, मांस-मदिरा और तामसिक भोजन से दूर रहना चाहिए।
यात्रा के दौरान अगर आप कहीं विश्राम करने रुक रहे है तो कांवड़ को भूलकर भी जमीन या चबुतरे पर न रखें। ऐसा करने से यात्रा अधूरी मानी जाती है।कांवड़ को हमेशा जमीन से ऊपर किसी स्टैंड या डाली पर लटका कर रखें।
कांवड़िये हमेशा जत्थे के साथ रहें। इसके साथ ही साफ मन से ही कांवड़ यात्रा करें।
कांवड़ यात्रा के दौरान मन में क्रोध की भावना न रखें और किसी वाद-विवाद में न उलझें।
वाणी पर संयम रखें, तभी भगवान शिव की कृपा प्राप्त होगी।