Kajari Teej 2024: पति की लंबी उम्र के लिए सुहागन महिलाएं आज रखेंगी कजरी तीज का व्रत, जानें क्या है इसका महत्व और पूजा विधि

Kajari Teej 2024: पति की लंबी उम्र के लिए सुहागन महिलाएं आज रखेंगी कजरी तीज का व्रत, जानें क्या है इसका महत्व और पूजा विधि

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  • Publish Date - August 22, 2024 / 07:10 AM IST,
    Updated On - August 22, 2024 / 07:10 AM IST

Kajari Teej 2024: हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल भाद्रपद मास कृष्ण पक्ष की तृतीया को कजरी तीज मनाई जाती है। कजरी तीज को कज्जली तीज, सातुड़ी तीज अथवा बड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है। कजरी तीज का पर्व रक्षाबंधन के तीन दिन बाद और कृष्ण जन्माष्टमी के पांच दिन पहले मनाया जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु की कामना करते हुए व्रत करती हैं, वहीं अविवाहित कन्याएं मनवांछित वर की प्राप्ति से कजरी तीज की पूजा करती हैं। आइए, जानते हैं कजरी तीज का महत्व, कजरी तीज की परंपरा, पूजा आदि के बारे में।

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कजरी तीज महत्व

कजरी तीज की जड़ें प्राचीन लोककथाओं और पौराणिक कथाओं से जुड़ी हैं। इस पर्व की एक कहानी राजा दादुराई से जुड़ी बतायी जाती है, जिन्होंने मध्य भारत में कजली जंगल पर शासन किया था। उनकी मृत्यु के पश्चात उनकी रानी नागमती ने अपने पति के साथ चिता पर बैठकर सती हो गई थी।इस दुखद घटना से स्थानीय लोगों में ‘कजरी’ लोकगीत रचने और गाने के लिए प्रेरित किया, जिसमें अलगाव और दुख की भावनाओं से ओतप्रोत होता है। वहीं एक अन्य कथा कजरी तीज को देवी पार्वती की भगवान शिव के प्रति भक्ति से जोड़ती है। इस कथा के अनुसार, पार्वतीजी ने भगवान शिव का प्रेम पाने के लिए 108 वर्षों तक कठोर तपस्या की। देवी पार्वती के समर्पण से प्रभावित होकर, भगवान शिव ने भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष में उनसे विवाह किया। कजरी तीज इस दिव्य मिलन पर आधारित पर्व है।

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कजरी तीज 2024 तिथि और समय

भाद्रपद तृतीया प्रारंभः 05.06 PM (21 अगस्त 2024, बुधवार)

भाद्रपद तृतीया समाप्तः 01.46 PM (22 अगस्त 2024, गुरूवार)

Kajari Teej 2024: मुहूर्त

भाद्रपद कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि 21 अगस्त को शाम 5.06 बजे से 22 अगस्त को दोपहर 1.46 बजे तक रहेगी। कजरी तीज का व्रत व्रत गुरुवार, 22 अगस्त यानी आज रखा रखा जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, कजरी तीज की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 5:50 से सुबह 7:30 के बीच रहेगा।

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पूजा विधि

कजरी तीज पर पूजा के लिए साफ-सुथरा स्थान चुनें और वहां एक चौकी रखें. चौकी पर एक साफ कपड़ा बिछाएं और उस पर भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें। भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्तियों या चित्रों को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर) से स्नान कराएं. इसके बाद जल से स्नान कराएं और उन्हें वस्त्र अर्पित करें। चंदन, रोली, मौली, सिंदूर, कुमकुम और फूलों से शिव-पार्वती का श्रृंगार करें. बेलपत्र, धतूरा, और पुष्प अर्पित करें। मिठाई और नैवेद्य का भोग लगाएं।

 

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