Vaikuntha Chaturdashi 2023: बैकुंठ चतुर्दशी कब..? इसी दिन खुलते हैं स्वर्ग के द्वार, यहां जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

Vaikuntha Chaturdashi 2023: बैकुंठ चतुर्दशी कब..? इसी दिन खुलते हैं स्वर्ग के द्वार, यहां जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

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  • Publish Date - November 22, 2023 / 01:05 PM IST,
    Updated On - November 22, 2023 / 01:07 PM IST

Vaikuntha Chaturdashi 2023: हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को बैकुंठ चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और भगवान भोलेनाथ की पूजा की जाती है। इस दिन श्रीहरि विष्णु और भोलेनाथ की पूजा करने का विधान है। कहते हैं इन दिन जो भी व्यक्ति बैकुंठ चतुर्दशी को भगवान विष्णु की पूजा करता है, उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है। जीवन के अंत समय में उसे भगवान विष्णु के धाम बैकुंठ में स्थान मिलता है। बैकुंठ चतुर्दशी का दिन सामान्य नर और नारी को विष्णु कृपा प्राप्ति का उत्तम साधन है।

बैकुंठ चतुर्दशी कब..? (kab hai Vaikuntha Chaturdashi 2023)

इस बार 25 नवंबर को बैकुंठ चतुर्दशी पड़ रहा है। इस दिन का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 47 मिनट से दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक है। बैकुंठ चतुर्दशी को निशिता मुहूर्त रात 11 बजकर 41 मिनट से प्रारंभ है, जो देर रात 12 बजकर 35 मिनट तक है। वहीं, दिन में शुभ-उत्तम मुहूर्त 08:10 बजे से 09:30 बजे तक है। वहीं, बैकुंठ चतुर्दशी के दिन रवि योग का निर्माण भी हो रहा है, जो दोपहर 02 बजकर 56 मिनट से अगले दिन सुबह 06 बजकर 52 मिनट तक मान्य रहेगा।

बैकुंठ चतुर्दशी का महत्व

शिव पुराण के मुताबिक, बैकुंठ चतुर्दशी के दिन ही भगवान शिव ने भगवान विष्णु को सुदर्शन चक्र दिया था। इस दिन शिव और विष्णु दोनों ही एकाएक रूप में रहते हैं। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की 1 हजार कमल के फूल से पूजा करने वाले व्यक्ति और उसके परिवार को बैकुंठ धाम में स्थान प्राप्त होता है। साथ ही इस दिन जिसका देहावसान होता है उसे सीधे स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है।

एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान विष्णु 108 कमल पुष्पों से भगवान शिव की पूजा कर रहे थे, तब ​महादेव ने उनकी परीक्षा लेने के लिए एक कमल पुष्प गायब कर दिया। भगवान विष्णु शिवलिंग पर एक-एक करके कमल पुष्प चढ़ा रहे थे, अंत में एक पुष्प कम लगा। तब उन्होंने सोचा कि उनके नेत्र भी कमल के समान हैं, इसलिए वे अपने एक नेत्र को शिवलिंग पर ​अर्पित करने जा रहे थे, तभी भगवान शिव प्रकट हुए और ऐसा करने से रोका और प्रसन्न होकर भगवान विष्णु को सुदर्शन चक्र दिया था।

बैकुंठ चतुर्दशी पूजा विधि

  • बैकुंठ चतुर्दशी के दिन सबसे पहले सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें।
  • दिनभर व्रत में रहें और शुभ मुहूर्त में भगवान के मंदिर जाकर या फिर घर में ही भगवान विष्णु और भोले बाबा की तस्वीर रखकर उनके सामने घी का दिया जलाएं।
  • इसके अलावा पांच तरह के फल, पांच तरह की मिठाई उन्हें अर्पित करें। फिर, भगवान विष्णु और भगवान शिव पर माला चढ़ाएं और पूरी निष्ठा से उनकी पूजा करें।
  • इस दौरान भोले बाबा को बेलपत्र, अक्षत, चंदन जरूर चढ़ाएं।
  • इसके बाद भगवान शंकर और भगवान विष्णु की आरती करें।
  • अब अगले दिन सुबह सूर्योदय से पहले इसी तरह से पूजा करके पारण करें।

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