Basant Panchami 2025: हिंदू धर्म में तीज-त्योहारों का विशेष महत्व है। जिसे धूमधाम से मनाया जाता है। ठीक इसी प्रकार हिंदू धर्म में बसंत पंचमी का दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती के लिए समर्पित माना गया है। धार्मिक मान्यता है कि अगर इस दिन कोई व्यक्ति मां सरस्वती की विधिवत रूप से पूजा-अर्चना करता है, तो उसे शिक्षा के क्षेत्र में अपार सफलता मिल सकती है। मालूम हो कि, हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है। ऐसे में इस साल तीन फरवरी सोमवार को बसंत पंचमी मनाई जाएगी। पंचमी तिथि के दिन श्रद्धालु मां सरस्वती की पूजा अर्चना विधि-विधान के साथ करेंगे। ऐसे में इस बार बसंत पचंमी 2 फरवरी को मनाई जाएगी। वहीं इस दिन मां सरस्वती की प्रतिमा को घर में स्थापित करते समय वास्तु के कुछ नियमों का पालन करना चाहिए। तो चलिए जानते हैं मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित करने के क्या नियम है।
मां सरस्वती की प्रतिमा को घर में तीन दिशाओं में स्थापित किया जा सकता है-
पूर्व दिशा: पूर्व दिशा सूर्योदय की दिशा होती है। सूर्य को ज्ञान और ऊर्जा का स्रोत माना जाता है। पूर्व दिशा में मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित करने से व्यक्ति के ज्ञान में वृद्धि होती है। अगर इस दिशा में विद्यार्थी मुख करके पढ़ते हैं, तो उन्हें हमेशा सफलता मिलती है।
उत्तर दिशा: उत्तर दिशा को शांति, ज्ञान और समृद्धि की देवी लक्ष्मी का स्थान माना जाता है। उत्तर दिशा में मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित करने से व्यक्ति के जीवन में समृद्धि आती है।
उत्तर-पूर्व दिशा: उत्तर-पूर्व दिशा को वास्तु शास्त्र में ज्ञान, बुद्धि और रचनात्मकता का केंद्र माना जाता है। इस दिशा में मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित करने से विद्यार्थियों को पढ़ाई में सफलता मिलती है।
घर में मां सरस्वती की तस्वीर अवश्य होनी चाहिए, लेकिन उनकी प्रतिमा स्थापित करने के लिए कुछ विशेष नियमों का पालन करना आवश्यक है। केवल शोपीस के रूप में मां सरस्वती की तस्वीर रखना उचित नहीं है। एक बार स्थापित करने के बाद, उनकी तस्वीर की नियमित पूजा-अर्चना करनी चाहिए। घर में मां सरस्वती की तस्वीर लगाने से सफलता में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और व्यक्ति का ज्ञान भी बढ़ता है।