Indira Ekadashi 2024: इस एकादशी के व्रत से होती है मोक्ष की प्राप्ति, पितृ भी होंगे प्रसन्न, जानें क्या है इसका महत्व

Indira Ekadashi 2024: इस एकादशी के व्रत से होती है मोक्ष की प्राप्ति, पितृ भी होंगे प्रसन्न, जानें क्या है इसका महत्व

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  • Publish Date - September 12, 2024 / 06:07 PM IST,
    Updated On - September 12, 2024 / 06:07 PM IST

Indira Ekadashi 2024:  हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का बहुत ही खास माना जाता है। मान्यता के अनुसार, एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।  पुराणों में एकादशी व्रत के समान कोई दूसरा व्रत नहीं माना गया है। पंचांग के अनुसार, सितंबर माह में दो महत्वपूर्ण एकादशी व्रत पड़ रहे हैं। जिनमें परिवर्तिनी एकादशी और इंदिरा एकादशी है।  मान्यता है कि, एकादशी व्रत का सही नियम से पालन करने पर सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है और इसके साथ ही सुख- समृद्धि की भी प्राप्ति होती है।

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इंदिरा एकादशी व्रत की तारीख

इंदिरा एकादशी हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखने वाली एक प्रमुख एकादशी है। यह व्रत पितरों की शांति और उनकी आत्मा की मुक्ति के लिए समर्पित होता है। इंदिरा एकादशी का आयोजन भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को होता है, जो आमतौर पर सितंबर के महीने में पड़ती है। इंदिरा एकादशी का व्रत 28 सितंबर 2024 को रखा जाएगा और व्रत पारण फिर अगले दिन 29 सितंबर को किया जाएगा। बता दें कि, हिन्दू धर्म के नियम के अनुसार, कोई भी व्रत, पर्व या त्योहार सूर्योदय की तिथि यानी उदयातिथि में मनाया जाता है।

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इंदिरा एकादशी पूजा मुहूर्त

इस एकादशी के दिन सिद्ध योग के साथ ही शिववास का विशेष शुभ संयोग बन रहा है। जिस वजह से इस महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है। पूजा 28 सितंबर को सूर्योदय के बाद दिन के 2 बजकर 49 मिनट के बीच के कभी भी कर सकते हैं, लेकिन इस दिन अभिजित मुहूर्त में 11बजकर 47 मिनट से 12 बजकर 35 मिनट के बीच इंदिरा एकादशी की पूजा का श्रेष्ठ फल मिल सकता है।

व्रत का महत्व

इंदिरा एकादशी हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखने वाली एक प्रमुख एकादशी है। यह व्रत पितरों की शांति और उनकी आत्मा की मुक्ति के लिए समर्पित होता है। इस एकादशी पर विधिपूर्वक व्रत कर इसके पुण्य को पूर्वज के नाम पर दान कर दिया जाए, तो उन्हें मोक्ष मिल जाता है। केवल इतना ही नहीं बल्कि और व्रत करने वाले को भी वैकुण्ठ की प्राप्ति होती है। साथ ही इस एकादशी का व्रत करने वाले व्यक्ति के सात पीढ़ियों तक के पूर्वज और पितर तृप्त हो जाते हैं।

 

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