नई दिल्ली। Ganesh Ji Ke Vahan Mausak Ki Katha : गणेश चतुर्थी, जिसे गणेश उत्सव के नाम से भी जाना जाता है, भारत में मनाए जाने वाले सबसे प्रिय और भव्य त्योहारों में से एक है। यह त्योहार भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है और विशेष रूप से महाराष्ट्र में इसकी धूमधाम होती है। । भगवान गणेश के लिए अलग-अलग थीम के पंडाल तैयार किए जाते हैं, भगवान गणेश की बड़ी-बड़ी मूर्तियां तैयार की जाती हैं व गणेश चतुर्थी की तैयारियाँ कई दिनों पहले शुरू हो जाती हैं। बाजारों में रंग-बिरंगी सजावट, फूल, मिठाइयाँ और अन्य पूजा सामग्री बिकती हैं।
Ganesh Ji Ke Vahan Mausak Ki Katha : इस दौरान, हर गली और मोहल्ले में गणेश मंडल स्थापित किए जाते हैं, जहाँ सामूहिक पूजा और भजन-कीर्तन का आयोजन होता है। गणेश चतुर्थी के दिन लोग एक-दूसरे को मिठाइयाँ बांटते हैं विशेषकर मोदक, जो भगवान गणेश का प्रिय भोग है, का प्रसाद बनाया जाता है और सभी मिलकर खुशियां मनाते हैं। । हर साल, भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है। इस साल यह पर्व 7 सितम्बर से मनाया जाएगा।
गणेश चतुर्थी के दिन, सुबह-सुबह श्रद्धालु अपने-अपने घरों में भगवान गणेश की मूर्तियों की स्थापना करते हैं। भगवान गणेश को बुद्धि, समृद्धि और भाग्य के देवता माना जाता है। उन्हें विघ्नहर्ता भी कहा जाता है, जो सभी बाधाओं को दूर करने वाले हैं । विघ्नहर्ता गणेश गणों के अधिपति एवं प्रथम पूज्य माने जाते हैं, अर्थात सर्वप्रथम इनकी पूजा की जाती है, उनके बाद ही अन्य देवी-देवताओं का पूजन किया जाता है। उनकी पूजा से न केवल व्यक्तिगत जीवन में सुख-शांति आती है, बल्कि समाज में भी एकता और भाईचारे का संदेश फैलता है।
पौराणिक कथा के अनुसार इंद्र देव के दरबार में एक क्रौंच नामक गंधर्व था । इंद्र के दरबार में क्रौंच हंसी ठिठोली में व्यस्त था और उसी बीच उसने अपना पैर मुनि वामदेव के ऊपर रख दिया, जिससे मुनिदेव अति क्रोधित हो गए और क्रोध में उन्होंने क्रौंच को श्राप देकर उसे चूहा बना दिया। परन्तु उसने इससे भी सबक नहीं सीखा। इसका बाद उसने पराशर ऋषि के आश्रम में बहुत उत्पात मचाया उसने मिट्टी के पात्रों में रखा सारा अनाज खा लिया और वाटिका को पूरी से तरह नष्ट कर दिया। इससे परेशान होकर पराशर ऋषि, भगवान गणेश के पास गए और उन्हें अपनी सारी व्यथा सुनाई।
तब गणेश जी ने इस चूहे को सबक सिखाने का सोचा। गणेश जी ने मूषक को पकड़ने के लिए अपना पाश फेंका जिसमें वह चूहा फंस गया। जब उसे भगवान गणेश के आगे पेश किया गया तो वह भगवान से अपने लिए जीवन की भीख मांगने लगा। तब गणेश जी ने उसपर दया खाकर उसे अपना वाहन बना लिया।
गणेश चतुर्थी का पर्व दस दिनों तक चलता है और अंत में अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान गणेश की मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है। इस दिन लोग अपने-अपने घरों से भगवान गणेश की मूर्तियों को लेकर समुद्र या नदी के किनारे जाते हैं। यहाँ पर वे श्रद्धा पूर्वक उनका विसर्जन करते हैं और अगले वर्ष फिर से आने की प्रार्थना करते हैं साथ ही भगवान गणेश के पुनः आगमन की उम्मीद भी रखते हैं। गणेश चतुर्थी न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह समाज में एकता, प्रेम और भाईचारे का संदेश भी फैलाता है। यह पर्व हमें सिखाता है कि जीवन में आने वाली बाधाओं को कैसे पार करना है और कैसे हम सभी मिलकर एक खुशहाल समाज बना सकते हैं।