इस राशि के लोगों को स्कंदमाता की विशेष उपासना करनी चाहिए। दुर्गा सप्तशती या दुर्गा चालीसा का पाठ करें। स्कंदमाता करुणामयी हैं, जो वात्सल्यता का भाव रखती हैं।
वृषभ राशि के लोगों को महागौरी स्वरूप की उपासना से विशेष फल प्राप्त होते हैं। ललिता सहस्र नाम का पाठ करें। जन-कल्याणकारी है। अविवाहित कन्याओं को आराधना से उत्तम वर की प्राप्ति होती है।
इस राशि के लोगों को देवी यंत्र स्थापित कर ब्रह्मचारिणी की उपासना करनी चाहिए। साथ ही तारा कवच का रोज पाठ करें। मां ब्रह्मचारिणी ज्ञान प्रदाता व विद्या के अवरोध दूर करती हैं।
कर्क- कर्क राशि के लोगों को शैलपुत्री की पूजा-उपासना करनी चाहिए। लक्ष्मी सहस्रनाम का पाठ करें। भगवती की वरद मुद्रा अभय दान प्रदान करती हैं।
सिंह राशि के लिए मां कूष्मांडा की साधना विशेष फल करने वाली है। दुर्गा मंत्रों का जप करें। ऐसा माना जाता है कि देवी मां के हास्य मात्र से ही ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई। देवी बलि प्रिया हैं, अतः साधक नवरात्र की चतुर्थी को आसुरी प्रवृत्तियों यानी बुराइयों का बलिदान देवी चरणों में निवेदित करते हैं।
इस राशि के लोगों को मां ब्रह्मचारिणी का पूजन करना चाहिए। लक्ष्मी मंत्रों का साविधि जप करें। ज्ञान प्रदान करती हुई विद्या मार्ग के अवरोधों को दूर करती हैं। विद्यार्थियों हेतु देवी की साधना फलदाई है।
तुला राशि के लोगों को महागौरी की पूजा-आराधना से विशेष फल प्राप्त होते हैं। काली चालीसा या सप्तशती के प्रथम चरित्र का पाठ करें। जन-कल्याणकारी हैं। अविवाहित कन्याओं को आराधना से उत्तम वर की प्राप्ति होती है।
वृश्चिक राशि के लोगों को स्कंदमाता की उपासना श्रेष्ठ फल प्रदान करती है। दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। वात्सल्य भाव रखती हैं।
इस राशि वाले मां चंद्रघंटा की उपासना करें। संबंधित मंत्रों का यथाविधि अनुष्ठान करें। घंटा प्रतीक है उस ब्रह्मनाद का, जो साधक के भय एवं विघ्नों को अपनी ध्वनि से समूल नष्ट कर देता है।
मकर राशि के जातकों के लिए कालरात्रि की पूजा सर्वश्रेष्ठ मानी गई है। नर्वाण मंत्र का जप करें। अंधकार में भक्तों का मार्गदर्शन और प्राकृतिक प्रकोप, अग्निकांड आदि का शमन करती हैं। शत्रु संहारक है।
कुंभ राशि वाले व्यक्तियों के लिए कालरात्रि की उपासना लाभदायक है। देवी कवच का पाठ करें। अंधकार में भक्तों का मार्गदर्शन और प्राकृतिक प्रकोपों का शमन करती हैं।
मीन राशि के लोगों को मां चंद्रघंटा की उपासना करनी चाहिए। हरिद्रा (हल्दी) की माला से यथासंभव बगलामुखी मंत्र का जप करें। घंटा उस ब्रह्मनाद का प्रतीक है, जो साधक के भय एवं विघ्नों को अपनी ध्वनि से समूल नष्ट कर देता है।
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