हिमाचल प्रदेश। Pauriwala Shiva Temple: वैसे तो हिंदू धर्म में 33 कोटि देवी-देवता हैं, लेकिन देवों के देव महादेव एक ऐसे देवता है जिनके आरंभ और अंत की कहानी कोई नहीं जानता। शायद यहीं वजह है कि आज भी लोगों का ऐसा मानना है कि शिव जी कलियुग में भी पृथ्वी पर विचरण करते हैं। सावन का महीना चल रहा है, ऐसे में हर शिव भक्त अपनी समसेया लेकर भगवान शिव के पास लेकर आते हैं। देवी-देवताओं से लेकर राक्षस गण भी शिव की पूजा करते है। राक्षसों की बात करें तो रावण को भगवान शिव का परम भक्त माना जाता है। रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न कर बहुत सी शक्तियां हासिल की थी। इसी बीच रावण ने शिव मंदिर में स्वर्ग की सीढ़िया बनी थी।
Pauriwala Shiva Temple: दरअसल, रावण ने भगवान शिव को खुश करने के लिए अपना सर काटकर उन्हें चढ़ा दिया था। जिसके बाद भगवान शिव धरती पर आए थे। कहते हैं जिस स्थान पर भगवान शिव ने उस समय निवास किया था। वहां से ही स्वर्ग जाने का रास्ता था। ये मंदिर हिमाचल प्रदेश से 70 कि.मी से दूर सिरमौर नामक जिले में स्थित है। जिसका नाम पौड़ीवाला शिव मंदिर है। प्राचीन कथाओं की मानें तो जब रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न किया तो बदले में शिव ने उन्हें वरदान दिया था कि, अगर रावण 5 सीढियों का निर्माण कर देता है तो वो अमर हो जाएगा, लेकिन जब रावण सीढ़ियां बनाने लगा तो उसकी आंख लग गई। इसलिए उसका स्वर्ग जाने का सपना पूरा नहीं हुआ और शरीर में अमृत रखे हुए भी उसे अपनी देह को त्यागना पड़ा।
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Pauriwala Shiva Temple: मान्यता के अनुसार, रावण ने स्वर्ग के लिए पहली सीढ़ी हरिद्वार में बनाई थी, जिसे हर की पौड़ी कहा जाता है। इसके साथ ही उन्होंने दूसरी पौड़ी वाला में, तीसरी पौड़ी चुडेश्वर महादेव और चौथी पौड़ी किन्नर कैलाश में बनाई थी। वहीं पांचवी पौड़ी बनाने के दौरान रावण की आंख लग गई और वो जागा तो सुबह हो गई थी। कहा जाता है कि पौड़ीवाला यानि दूसरी पौड़ी में स्थापित शिवलिंग में भगवान शिव आज भी साक्षात विद्यामान हैं, लेकिन उनके दर्शन सिर्फ सच्चे भक्तों को ही होते हैं।