Hanuman ji ki aarti : हो मंगलवार का व्रत यां शनिवार की पूजा, हर शुभ कार्य से पूर्व प्रमुखता से गाये जाने वाली श्री हनुमान आरती | Hanuman ji ki aarti

Hanuman ji ki aarti : हो मंगलवार का व्रत यां शनिवार की पूजा, हर शुभ कार्य से पूर्व प्रमुखता से गाये जाने वाली श्री हनुमान आरती

Hanuman ji ki aarti : Be it Tuesday fast or Saturday worship, Shri Hanuman Aarti is sung prominently before every auspicious work

Edited By :   Modified Date:  August 24, 2024 / 06:54 PM IST, Published Date : August 24, 2024/1:43 pm IST

Hanuman ji ki aarti : हनुमान जी की आरती करना शुभ होता है। ज्योतिषियों का कहना है कि पूजा- पाठ करने से देवता खुश होते हैं। वहीं अगर पूजा-पाठ करते समय आरती का पाठ किया जाता है तो इसे बहुत शुभ माना जाता है। आरती का अर्थ होता है- पूरी श्रद्धा के साथ ईश्वर की भक्ति में डूब जाना। हनुमानजी की निरंतर भक्त करने से भूत पिशाच, शनि और ग्रह बाधा, रोग और शोक, कोर्ट-कचहरी-जेल बंधन से मुक्ति, मारण-सम्मोहन-उच्चाटन, घटना-दुर्घटना से बचना, मंगल दोष, कर्ज से मुक्ति, बेरोजगार और तनाव या चिंता से मुक्ति मिल जाती है।

Hanuman ji ki aarti : यहां पढ़ें एवं सुनें श्री हनुमान जी की आरती 

॥ श्री हनुमंत स्तुति ॥
मनोजवं मारुत तुल्यवेगं,
जितेन्द्रियं, बुद्धिमतां वरिष्ठम् ॥
वातात्मजं वानरयुथ मुख्यं,
श्रीरामदुतं शरणम प्रपद्धे ॥

॥ आरती ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥

जाके बल से गिरवर काँपे ।
रोग-दोष जाके निकट न झाँके ॥
अंजनि पुत्र महा बलदाई ।
संतन के प्रभु सदा सहाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

Hanuman ji ki aarti

दे वीरा रघुनाथ पठाए ।
लंका जारि सिया सुधि लाये ॥
लंका सो कोट समुद्र सी खाई ।
जात पवनसुत बार न लाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

लंका जारि असुर संहारे ।
सियाराम जी के काज सँवारे ॥
लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे ।
लाये संजिवन प्राण उबारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

पैठि पताल तोरि जमकारे ।
अहिरावण की भुजा उखारे ॥
बाईं भुजा असुर दल मारे ।
दाहिने भुजा संतजन तारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

Hanuman ji ki aarti

सुर-नर-मुनि जन आरती उतरें ।
जय जय जय हनुमान उचारें ॥
कंचन थार कपूर लौ छाई ।
आरती करत अंजना माई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

जो हनुमानजी की आरती गावे ।
बसहिं बैकुंठ परम पद पावे ॥
लंक विध्वंस किये रघुराई ।
तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई ॥

Hanuman ji ki aarti

आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
॥ इति संपूर्णंम् ॥

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