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Hanuman Chalisa in Hindi : 7 बृहस्पतिवार लगातार पढ़े श्री हनुमान चालीसा, हनुमान जी होंगे प्रसन्न, दिखाएंगे चमत्कार, दूर करेंगे हर संकट
Publish Date - July 31, 2024 / 12:20 PM IST,
Updated On - July 31, 2024 / 12:20 PM IST
Hanuman Chalisa in Hindi : हनुमान चालीसा महान रामभक्त गोस्वामी तुलसीदास लिखी एक काव्यात्मक कृति है जिसमें प्रभु श्री राम के सर्वोत्तम भक्त हनुमान जी के गुणों एवं कार्यों का चालीस चौपाइयों में वर्णन है। पवन पुत्र हनुमान को संकटमोचन कहा गया है | उनका नाम पुकारने मात्र से ही सारे संकट दूर हो जाते हैं तथा मनुष्य के जीवन में खुशियों का आगमन होता है |
Hanuman Chalisa in Hindi : आइये पढ़ें श्री हनुमान चालीसा (हिन्दी अर्थ सहित)
श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुवर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।
अर्थ- श्री गुरु महाराज के चरण कमलों की धूलि से अपने मन रूपी दर्पण को पवित्र करके श्री रघुवीर के निर्मल यश का वर्णन करता हूं, जो चारों फल धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को देने वाला है।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरो पवन-कुमार।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश विकार।
अर्थ- हे पवन कुमार! मैं आपको सुमिरन करता हूं। आप तो जानते ही हैं कि मेरा शरीर और बुद्धि निर्बल है। मुझे शारीरिक बल, सद्बुद्धि एवं ज्ञान दीजिए और मेरे दुखों व दोषों का नाश कर दीजिए।
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर, जय कपीस तिहुं लोक उजागर॥1॥
अर्थ- श्री हनुमान जी! आपकी जय हो। आपका ज्ञान और गुण अथाह है। हे कपीश्वर! आपकी जय हो! तीनों लोकों, स्वर्ग लोक, भूलोक और पाताल लोक में आपकी कीर्ति है।
राम दूत अतुलित बलधामा, अंजनी पुत्र पवन सुत नामा॥2॥
अर्थ- हे पवनसुत अंजनी नंदन! आपके समान दूसरा बलवान नहीं हैं।
महावीर विक्रम बजरंगी, कुमति निवार सुमति के संगी॥3॥
अर्थ- हे महावीर बजरंग बली!आप विशेष पराक्रम वाले हैं। आप खराब बुद्धि को दूर करते हैं, और अच्छी बुद्धि वालों के साथी, सहायक हैं।
कंचन बरन बिराज सुबेसा, कानन कुण्डल कुंचित केसा॥4॥
अर्थ- आप सुनहले रंग, सुन्दर वस्त्रों, कानों में कुण्डल और घुंघराले बालों से सुशोभित हैं।
हाथबज्र और ध्वजा विराजे, कांधे मूंज जनेऊ साजै॥5॥
अर्थ- आपके हाथ में बज्र और ध्वजा है और कन्धे पर मूंज के जनेऊ की शोभा है।
शंकर सुवन केसरी नंदन, तेज प्रताप महा जग वंदन॥6॥
अर्थ- शंकर के अवतार! हे केसरी नंदन आपके पराक्रम और महान यश की संसार भर में वन्दना होती है।
विद्यावान गुणी अति चातुर, राम काज करिबे को आतुर॥7॥
अर्थ- आप प्रकान्ड विद्या निधान हैं, गुणवान और अत्यन्त कार्य कुशल होकर श्री राम के काज करने के लिए आतुर रहते हैं।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया, राम लखन सीता मन बसिया॥8॥
अर्थ- आप श्री राम चरित सुनने में आनन्द रस लेते हैं। श्री राम, सीता और लखन आपके हृदय में बसे रहते हैं।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा, बिकट रूप धरि लंक जरावा॥9॥
अर्थ- आपने अपना बहुत छोटा रूप धारण करके सीता जी को दिखलाया और भयंकर रूप करके लंका को जलाया।
भीम रूप धरि असुर संहारे, रामचन्द्र के काज संवारे॥10॥
अर्थ- आपने विकराल रूप धारण करके राक्षसों को मारा और श्री रामचन्द्र जी के उद्देश्यों को सफल कराया।
लाय सजीवन लखन जियाये, श्री रघुवीर हरषि उर लाये॥11॥
अर्थ- आपने संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण जी को जिलाया जिससे श्री रघुवीर ने हर्षित होकर आपको हृदय से लगा लिया।
रघुपति कीन्हीं बहुत बड़ाई, तुम मम प्रिय भरत सम भाई॥12॥
अर्थ- श्री रामचन्द्र ने आपकी बहुत प्रशंसा की और कहा कि तुम मेरे भरत जैसे प्यारे भाई हो।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं। अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं॥13॥
अर्थ- श्री राम ने आपको यह कहकर हृदय से लगा लिया कि तुम्हारा यश हजार मुख से सराहनीय है।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा, नारद, सारद सहित अहीसा॥14॥
अर्थ- श्री सनक, श्री सनातन, श्री सनन्दन, श्री सनत्कुमार आदि मुनि ब्रह्मा आदि देवता नारद जी, सरस्वती जी, शेषनाग जी सब आपका गुण गान करते हैं।