Gudi Padwa 2024: कब मनाया जाएगा गुड़ी पड़वा! , जानिए क्या है इसकी पौराणिक कथा और पूजा विधि

Gudi Padwa 2024: कब मनाया जाएगा गुड़ी पड़वा! , जानिए क्या है इसकी पौराणिक कथा और पूजा विधि

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  • Publish Date - April 7, 2024 / 08:49 AM IST,
    Updated On - April 7, 2024 / 08:49 AM IST

Gudi Padwa 2024: हिन्दू धर्म में गुड़ी पड़वा से ही नए साल की शुरुआत होती है और इस दिन को बड़े ही उत्साह से मनाया जाता है। गुड़ी पड़वा के पर्व का उत्साह खासकर महाराष्ट्र राज्य में देखने को मिलता है। इसके अलावा आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक में भी धूमधाम से गुड़ी पड़वा का पर्व मनाया जाता है। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी गुड़ी पड़वा के मौके पर लोग अपने घर में विजय पताका के रूप में गुड़ी सजाते हैं और उत्साह के साथ इसे मनाया जाता है। ऐसे मान्यता है कि गुड़ी पड़वा पर्व को मनाने पर घर में सुख और समृद्धि आती है और घर की नकारात्मक ऊर्जाएं खत्म हो जाती हैं।
शुभ मूहुर्त
गुड़ी पड़वा के मौके पर चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 8 अप्रैल को रात 11 बजकर 50 मिनट पर शुरू होगी और 9 अप्रैल को रात 8 बजकर 30 मिनट पर खत्म होगी। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, गुड़ी पड़वा का त्योहार 09 अप्रैल दिन मंगलवार को मनाया जाएगा।
क्या है इसकी परंपरा
गुड़ी पड़वा के दिन गुड़ी बनाने की परंपरा कई वर्षों से चली आ रही है. इसके लिए एक खंभे में पीतल के पात्र को उल्टा रखकर इसमें रेशम के लाल, पीले, केसरिया कपड़े बांधा जाते हैं। गुड़ी पड़वा पर लोग सूर्योदय के समय शरीर में तेल लगाकर स्नान करते हैं और घर के मुख्य द्वार को आम या अशोक के पत्ते और फूलों से सजाया जाता है और रंगोली बनाई जाती है।
इसके साथ ही घर के बाहर या घर के किसी हिस्से में झंडा लगाया जाता है।  इस दिन लोग भगवान बह्मा की पूजा करते हैं फिर गुड़ी फहराते हैं।
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पूजा विधि
इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले स्नान आदि करके विजय के प्रतीक के रूप में घर में सुंदर-सुंदर गुड़ी लगाकर और उसका पूजन किया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से घर की नकारात्मकता दूर होती है और घर में सुख-शांति खुशहाली आती है। यह पर्व कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश में मनाया जाता है। गुड़ी पड़वा का दिन स्वास्थ्य की दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन खास तरह के पकवान श्री खंड,पूरनपोली, खीर आदि बनाए जाते हैं।
क्या है इसकी कथा

ऐसी मान्यता है कि जिस दिन भगवान राम ने बालि का वध किया था, वह दिन चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा का दिन था। इसलिए हर साल इस दिन को दक्षिण में गुड़ी पड़वा के रूप में मनाया जाता है और विजय पताका फहराई जाती है। आज भी गुड़ी पड़वा पर पताका लगाने की परंपरा कायम है. जिसे लोग कई वर्षों से मनाते चले आ रहा है।