Govardhan Puja Date And Shubh Muhurat : आज गिरिराज महाराज को लगेंगे 56 भोग.. देशभर में गोवर्धन पूजा की धूम, यहां देखें शुभ मुहूर्त

Govardhan Puja Date And Shubh Muhurat : आज गिरिराज महाराज को लगेंगे 56 भोग.. देशभर में गोवर्धन पूजा की धूम, यहां देखें शुभ मुहूर्त

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  • Publish Date - November 2, 2024 / 07:23 AM IST,
    Updated On - November 2, 2024 / 07:49 AM IST

नई दिल्ली : Govardhan Puja Date And Shubh Muhurat : हिंदू धर्म में सभी त्योहारों को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। दिवाली का त्योहार 5 दिन तक मनाया जाता है। दिवाली की शुरुआत धनतेरस से होती है। इसके बाद रूप चौदस, दीपावली, गोवर्धन और भाई दूज का पावन त्योहार मनाया जाता है। आज पूरे देश में गोवर्धन पूजा मनाई जाएगी। बता दें कि, इस दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा अर्चना की जाती है, साथ ही गोवर्धन पर्वत बनाकर उसकी भी आराधना होती है।

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गोवर्धन पूजा में शुभ मुहूर्त

ज्योतिषों के अनुसार, गोवर्धन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 2 नवंबर 2024 को सुबह 6 बजे से लेकर 8:00 तक रहेगा। इसके बाद दोपहर में 3:23 से लेकर 5:35 के बीच में भी पूजा अर्चना की जा सकती है। गोवर्धन पूजा के लिए सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गोबर से गोवर्धन पर्वत और भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति बनाई जाती है, मूर्ति को फूलों और रंगों से सजाया जाता है। इसके बाद गोवर्धन पर्वत और भगवान श्री कृष्ण की पूजा अर्चना की जाती है, भगवान को फल, फूल, मिष्ठान आदि अर्पित किए जाते हैं। इस दौरान कढ़ी और अन्नकूट, चावल का भोग जरूर लगाया जाता है. इसके बाद इस दिन गाय, बैल और भगवान विश्वकर्मा की पूजा भी की जाती है, पूजा करने के बाद घर में बनाए गए गोवर्धन पर्वत की सात परिक्रमा की जाती है और आखिर में आरती करके पूजा को संपन्न किया जाता है।

पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने इस दिन अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर ब्रजवासियों को भगवान इंद्र के गुस्से से बचाया था। साथ ही भगवान इंद्र को उनकी गलती का एहसास करवाया था। उस समय से ही भगवान कृष्ण के उपासक उन्हें गेहूं, चावल, बेसन से बनी सब्जी और पत्तेदार सब्जियां अर्पित करते हैं।

गोवर्धन पूजा पूजन विधि (Govardhan Pujan Vidhi)

इस दिन सुबह उठकर शरीर पर तेल की मालिश करें और उसके बाद स्नान करें। फिर, घर के मुख्य द्वार पर गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाएं। गोबर का गोवर्धन पर्वत, पास में ग्वाल-बाल और पेड़ पौधों की आकृति बनाएं। गोवर्धन पर्वत के बीचों बीच भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति स्थापित करें। फिर, इन्हें अन्नकूट का भोग लगाएं। आखिरी में गोवर्धन पूजा की व्रत कथा सुने और सभी में प्रसाद वितरित करें और उसके बाद भोजन करें।

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