Ganesh Chaturthi 2024 Date: गणेश चतुर्थी कब है? अगर आपके मन में भी है ये सवाल तो यहां मिलेगा जवाब, जानिए Ganesh Chaturthi 2024 Muhurat

Ganesh Chaturthi 2024 Date: गणेश चतुर्थी कब है? अगर आपके मन में भी है ये सवाल तो यहां मिलेगा जवाब, जानिए Ganesh Chaturthi 2024 Muhurat

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  • Publish Date - September 6, 2024 / 09:53 AM IST,
    Updated On - September 6, 2024 / 09:54 AM IST

नई दिल्ली: Ganesh Chaturthi 2024 Date सनातन धर्म में गणेशजी को पहला स्थान दिया गया है। यानि किसी भी शुभ कार्य के लिए सबसे पहले भगवान गणेश की आराधना की जाती है। वहीं, भादो माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश जी की स्थापना की जाती है और पूरे 11 दिनों तक भगवान गणेश की आराधना की जाती है। हालांकि महाराष्ट्र सहित कई राज्यों में 1 दिन, ढाई दिन, पांच दिनों के बाद गणपति की मूर्ति को विसर्जीत कर दिया जाता है। तो चलिए जानते हैं इस साल गणेश चतुर्थी 6 सितंबर को है या 7 सितंबर और मूर्ति स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त कब है?

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Ganesh Chaturthi 2024 Date पुरोहितों की मानें तो इस साल गणेश चतुर्थी की शुरुआत 06 सितंबर 2024 को दोपहर 12 बजकर 17 मिनट पर होगा। यानि आज दोपहर 12 बजे के बाद गणेश स्थापना शुरू हो जाएगी, जो कल यानि 7 सितंबर 01 बजकर 34 मिनट तक चलेगी। उदयातिथि के अनुसार, 07 सितंबर को गणेश चतुर्थी मनाई जाएगी। 07 सितंबर को सुबह 11 बजकर 03 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 34 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त बन रहा है।

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गणेश चतुर्थी की पूजाविधि

  • गणेश चतुर्थी के दिन व्रती को सुबह उठकर सफेद तिल पानी में डालकर स्नान करना चाहिए।
  • गणेश चतुर्थी के दिन गणेशजी का मध्याह यानी की दोपहर में जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन दोपहर में गणेश जी की पूजा-आराधना का विशेष महत्व है।
  • पूजा के लिए अपने क्षमतानुसार चांदी, सोने या मिट्टी की मूर्ति को स्थापित करें।
  • अब पूजा के शुभ मुहूर्त में पूजा आरंभ करें। हाथ में पाश और अंकुश धारण करें।
  • सिद्धविनायक गणपति बप्पा का ध्यान करें। एकाग्रचित होकर पूजन करें।
  • गणेशजी को पंचामृत से स्नान कराएं। इसके बाद शुद्ध जल से स्नान करवाएं।
  • आवाहन करने के बाद गणेशजी को दो लाल वस्त्र अर्पित करें।
  • इसके बाद श्रद्धाभाव से गणेशजी इत्र, फल, पान, फूल, धूप-दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
  • फिर गणेशजी को 21 दूब अर्पित करें। इसके बाद अक्षत के साथ दो-दो दूब लेकर उनके प्रत्येक नाम का उचारण करते हुए अलग-अलग नामों से दूब अर्पित करें।
  • अब गणेश जी को गुड़-धनिया का भोग लगाएं। इसके बाद शुद्ध घी से निर्मित 21 लड्डू अर्पित करें।
  • पूजा के बाद 10 लड्डू को ब्राह्मण को दान कर दें और 10 लड्डू प्रसाद के रूप में रख लें और शेष लड्ड को गणेशजी के समक्ष नैवेद्य के रूप में रखा रहने दें।
  • अगर संभव हो, तो इस दिन ब्राह्मण को भोजन कराएं।
  • गणेश चतुर्थी के दिन मूंगफली, वनस्पति इत्यादि का सेवन नहीं करना चाहिए।

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चंद्रदर्शन क्यों नहीं करना चाहिए?

मान्यता है कि भाद्रपद शुक्ल पक्ष को गणेश चतुर्थी की पूजा शिवलोक में हुई थी। इस दिन स्नान, दान और व्रत-पूजन के कार्य बेहद शुभ फलदायी माने गए हैं। इस विशेष दिन चंद्रदर्शन वर्जित माना गया है। कहा जाता है कि सिंह राशि की संक्रान्ति में, शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को चंद्रदर्शन करने से (चोरी,व्याभिचार, हत्या आदि)से मिथ्या कलंकित होना पड़ता है। इसलिए इस दिन चंद्रदेव के दर्शन की मनाही होती है।यदि भूल से चंद्रदेव के दर्शन हो जाए तो ऐसा कहें-सिंह ने प्रसेनजित को मार डाला और जाम्बवान ने सिंह को यमालय भेज दिया। हे बेटा! रोओ मत,तुम्हारी स्यमन्तक मणि यह है।

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डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य है और सटीक है। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

 

 

 

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