Chandra Grahan 2023 : साल का पहला चंद्र ग्रहण कल, भारत समेत इन जगहों देगा दिखाई, समय और अन्य सवालों का जवाब जानें यहां

Chandra Grahan 2023 : ज्योतिष के अनुसार ग्रहण के दौरान राहु सूर्य और चंद्रमा को ग्रसित कर लेता है जिसकी वजह से ग्रहण लगता है।

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  • Publish Date - May 4, 2023 / 04:59 PM IST,
    Updated On - May 4, 2023 / 05:00 PM IST

नई दिल्ली : Chandra Grahan 2023 :  ज्योतिष शास्त्र में चंद्र ग्रहण का विशेष महत्व होता है। चंद्रमा को मन का कारक माना गया है। चंद्र ग्रहण के दौरान चंद्रमा ग्रसित हो जाता है जिसका असर हर व्यक्ति की मानसिक स्थिति पर पड़ता है। ग्रहण भले एक खगोलीय घटना हो लेकिन धार्मिक मान्यताओं में इसे अशुभ माना जाता है। यह एक दैवीय आपदा मानी जाती है। ज्योतिष के अनुसार ग्रहण के दौरान राहु सूर्य और चंद्रमा को ग्रसित कर लेता है जिसकी वजह से ग्रहण लगता है। आइए जानते हैं कि साल का पहला कब और कहां लगेगा।

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कल लगेगा साल का पहला चंद्र ग्रहण

Chandra Grahan 2023 :   साल का पहला चंद्र ग्रहण 5 मई, शुक्रवार के दिन लगेगा। यह ग्रहण 5 मई की रात में 8 बजकर 46 मिनट से शुरू होगा और मध्यरात्रि के बाद 1 बजकर 2 मिनट पर समाप्त होगा। 5 मई को लगने वाला यह ग्रहण एक उपछाया चंद्रग्रहण होगा। यह चंद्रग्रहण लगभग 4 घंटे 15 मिनट की अवधि का होगा। इससे पहले साल का पहला सूर्य ग्रहण 20 अप्रैल को लगा था। यह चंद्र ग्रहण तुला राशि और स्वाति और अनुराधा नक्षत्र में लगेगा।

चंद्र ग्रहण इन जगहों पर देगा दिखाई

Chandra Grahan 2023 :   साल का पहला चंद्र ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा। यह चंद्र ग्रहण एशिया, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण पूर्वी यूरोप के कुछ भागों में दिखाई देगा। चंद्र ग्रहण का सूतक काल 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है। 5 मई को लगने वाला चंद्र ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा इसलिए यहां इसका सूतक काल भी नहीं माना जाएगा। सूतक काल ना लगने की वजह से यहां पूजा-पाठ या किसी भी धार्मिक कार्यों पर रोक नहीं लगेगी।

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उपछाया चंद्र ग्रहण क्या है

Chandra Grahan 2023 :   जब चंद्रमा पृथ्वी की वास्तविक छाया में प्रवेश करता है, तब वास्तविक चंद्र ग्रहण लगता है। ग्रहण से पहले चंद्रमा, पृथ्वी की परछाईं में प्रवेश करता है, इसे उपछाया कहते हैं। पृथ्वी की परछाईं में प्रवेश के बाद ही चंद्रमा पृथ्वी की वास्तविक छाया में प्रवेश करता है। हालांकि कई बार चंद्रमा धरती की वास्तविक छाया में जाए बिना, उसकी उपछाया से ही बाहर निकल आता है।

जब चंद्रमा पर पृथ्वी की छाया न पड़कर केवल उसकी उपछाया मात्र ही पड़ती है, तब इसे उपछाया चंद्र ग्रहण कहते हैं। इसमें चंद्रमा के आकार में कोई अंतर नहीं आता है और इस पर एक धुंधली सी छाया मात्र नजर आती है।

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