गणगौर व्रत रखने से मिलते हैं अच्छे जीवनसाथी, जानिए व्रत कथा और विधि

गणगौर व्रत रखने से मिलते हैं अच्छे जीवनसाथी, जानिए व्रत कथा और विधि

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  • Publish Date - March 27, 2020 / 03:03 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:16 PM IST

धर्म। अच्छे जीवनसाथी की तलाश कर रही महिलाओं को गणगौर व्रत करना चाहिए। व्रत में माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा की जाती। सच्चे मन से पूजा करने से भगवान हर इच्छा पूरी करती है।

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गणगौर व्रत प्रति वर्ष यह व्रत चैत्र शुक्ल तृतीया को रखा जाता है। इस व्रत को एक ओर जहां अच्छे जीवनसाथी के लिए अविवाहित महिलाएं रखती है तो वहीं दूसरी ओर व्रत महिलाओं के द्वारा पति को बिना बताये रखा जाता है। इस साल यह व्रत 27 मार्च को पड़ रहा है।

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व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, कहा जाता है कि एकबार चैत्र शुक्ल तृतीया तिथि के दिन मां पार्वती और शिवजी नारदमुनि के साथ भ्रमण पर निकले थे। इस दौरान वे एक गांव में पहुंचें। जब गांव की महिलाओं को उनके आगमन की खबर लगी तो वे उनकी स्वागत की तैयारी में जुट गईं। जहां समृद्ध परिवारों की महिलाओं ने मां गौरी-शिव के स्वागत के लिए ना ना प्रकार के पकवान और फल की तैयारी करने लगीं। तो वहीं गरीब महिलाओं ने जो उनसे बन पड़ा उन्होंने वैसा ही स्वागत किया। लेकिन मां गौरी उनके भाव को देखकर बेहद प्रसन्न हो गईं।

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मां गौरी ने उन महिलाओं की भक्ति को देखकर उन्हें सौभाग्य रस के रूप में आशीर्वाद दिया। इसके बाद जब समृद्ध परिवार की महिलाएं तरह-तरह के मिष्ठान और पकवान लेकर आईं तो उन्हें आशीर्वाद के रूप में देने के लिए मां गौरी के पास कुछ न था। ऐसे में भगवान शिव ने माता पार्वती से कहा कि अब आपके पास इन्हें देने के लिए कुछ नहीं बचा क्योंकि आपने सारा आशीर्वाद गरीब महिलाओं को दे दिया। तब माता पार्वती ने अपने खून के छींटों से उन पर अपने आशीर्वाद दिया।

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पूजा विधि

गणगौर व्रत को रखने की तैयारी एक सप्ताह पहले होनी चाहिए। विवाहित महिला कृष्ण पक्ष की एकादशी को प्रातः स्नान करके गीले वस्त्रों में ही रहकर घर के ही किसी पवित्र स्थान पर लकड़ी की बनी टोकरी में जवारे बोना चाहिए। इस दिन महिला को सामान्य भोजना करना चाहिए। इसके बाद चैत्र शुक्ल तृतीया को पूरे विधि विधान से मां गौरी को सोल शृंगार पूजा करना चाहिए। वहीं गणगौर व्रत कथा सुनें और पढ़ें।

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