रुद्रप्रायग: केदारनाथ मंदिर, भारत के उत्तराखंड राज्य के सुंदर शहर केदारनाथ में स्थित है। यहाँ भगवान शिव को समर्पित एक बहुत ही प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर है। इस मंदिर की भारतीय पौराणिक कथाओं में बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका है, और हर साल बहुत से लोग यहाँ आते हैं।
यह मंदिर खूबसूरत हिमालय के बीच स्थित है, जिसके चारों ओर बहुत ही खूबसूरत प्राकृतिक दृश्य हैं। इसका इतिहास बहुत धनी है, और इसकी वास्तुकला भी बहुत अद्भुत है। इसकी आध्यात्मिक वातावरण भी इसे एक अद्वितीय अनुभव बनाती है।
1.सबसे पुराना ज्योतिर्लिंग
केदारनाथ मंदिर, जो उत्तराखंड के सुंदर केदारनाथ नगर में स्थित है, भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में सबसे पुराना और सबसे ऊंचा है। यहाँ की ऊंचाई 3,583 मीटर (11,755 फीट) है। यहाँ का महत्व भारतीय धर्म और संस्कृति के लिए अत्यधिक माना जाता है।
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2. केदारनाथ का निर्माण
केदारनाथ को बड़े-बड़े पत्थरों चट्टानों और शीला खंडो से बनाया गया है और इन पत्थरों को आपस में जोड़ने के लिए इंटरलॉकिंग तकनीक को अपनाया गया है और इसमें किसी भी तरीके का सीमेंट का प्रयोग नहीं किया गया है अब इतनी बड़े-बड़े पत्थरों को एक के ऊपर एक रखना और उन्हें इंटरलॉकिंग करना किसी मानव द्वारा करना संभव नहीं है, केदारनाथ का निर्माण आज तक एक रहस्य बना हुआ है।
3.केदारनाथ धाम में शिवलिंग की स्थापना
महाभारत युद्ध के बाद पांडवों पर अपने भाइयों के और सगे संबंधियों की हत्या करने का दोष लगा था, तब भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें भगवान शिव से क्षमा मांगने का सुझाव दिया था। लेकिन भगवान शिव पांडवों को क्षमा करना नहीं चाहते थे इसलिए वह केदारनाथ धाम में बैल का यानी नंदी का रूप धारण कर लिए और पहाड़ों में मौजूद मवेशियों में छुप गए थे।
लेकिन गदाधारी भीम ने उन्हें देखते ही पहचान लिया तब भगवान शिव के दर्शन पाने के लिए उन्होंने एक योजना बनाई और भीम ने अपने विशालकाय रूप को धारण करके अपने दोनों पैर पर्वत के दोनों तरफ फैला दिया और बाकी पशु उनके पैर के नीचे के तरफ से जा रहे थे।
लेकिन उनमें से एक बैल जो कि महादेव थे वह उनके पैर के नीचे से नहीं गए और जब भीम ने उस बैल को पकड़ना चाहा तो वह धरती में समाने लगा। तभी भीम ने उसका पिछला पैर कसकर पकड़ लिया तब भगवान शिव उनके भक्ति को देख प्रसन्न होकर उन्हें पाप मुक्त कर दिया। कहा जाता है कि तभी से भगवान शिव यहां बैल के पीठ के आकार के रूप में पूजा जाते हैं।
केदारनाथ के एक तरफ करीबन 22,000 फीट केदार और दूसरी तरफ करीबन 21,600 फीट ऊंचा कराचकुंड और तीसरा करीबन 22,700 फीट ऊंचा भरत कुंड मौजूद है। और यहां तीनो पहाड़ों के अलावा पांच नदियों का संगम भी है और इन नदियों में अलकनंदा की सहायक मंदाकिनी आज भी मौजूद है।
इसी के किनारे मौजूद है केदारेश्वर धाम जहां सर्दियों में भारी बर्फबारी और बरसात में जबरदस्त बनी रहता है केदार घाटी में दोनों तरफ हैं नर और नारायण विष्णु भगवान के 24 अवतार में एक नर और नारायण कि यहां तपोभूमि भी है और दूसरी तरफ बद्रीनाथ धाम है जहां भगवान विष्णु विश्राम करते हैं।
5.रंग बदलता शिवलिंग
केदारनाथ मंदिर में एक अद्भुत घटना होती है। गर्भगृह में, भगवान शिव का प्रतिनिधित्व करने वाला लिंग दिनभर में रंग बदलता रहता है। सुबह को यह लाल होता है, दोपहर को काला, और शाम को सफेद। यह अद्भुत घटना लोगों के लिए एक अनोखी दृश्य होती है, जो इस मंदिर का दर्शन करते हैं।
6.प्राकृतिक आपदाओं का सामना
केदारनाथ मंदिर ने विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं का सामना किया है, लेकिन अपनी लचीलापन के कारण संभल कर खड़ा रहा है। इसमें बाढ़ जैसी खतरनाक आपदा भी शामिल है। मंदिर को थोड़ा नुकसान हुआ था, लेकिन सावधानी से ठीक किया गया, जो भक्तों की अटूट श्रद्धा और संगीतमयता का प्रतीक है।
7.पंच केदार सर्किट
पंच केदार तीर्थयात्रा सर्किट एक धार्मिक पर्यटन स्थल है जो उत्तराखंड में स्थित है। यहां भगवान शिव के पांच प्रमुख मंदिर हैं – केदारनाथ, तुंगनाथ, रुद्रनाथ, मध्यमहेश्वर, और कल्पेश्वर। इन मंदिरों की यात्रा करना धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व का अनुभव होता है।
8. देवी पार्वती को समर्पित
केदारनाथ मंदिर न केवल भगवान शिव को ही समर्पित है, बल्कि उनकी पत्नी, देवी पार्वती को भी। यहाँ मंदिर में दोनों देवताओं की मूर्तियाँ स्थित हैं, और भक्तगण उनके आशीर्वाद और कृपा के लिए प्रार्थना करते हैं।