Shardiya Navratri 2023: शारदीय नवरात्रि पर इस मुहूर्त में करें कलश स्थापना, जानें पूजा विधि के साथ सही समय…

Kalash sthapana on Sharadiya Navratri हिंदू पंचाग के अनुसार, 14 अक्टूबर को भारतीय समय के अनुसार 8 बजकर 34 मिनट से सूर्य ग्रहण शुरू होगा

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  • Publish Date - October 11, 2023 / 10:42 AM IST,
    Updated On - October 11, 2023 / 10:47 AM IST

Kalash sthapana on Sharadiya Navratri: हिंदू पंचाग के अनुसार, 14 अक्टूबर को भारतीय समय के अनुसार 8 बजकर 34 मिनट से सूर्य ग्रहण शुरू होगा और 15 अक्टूबर को सुबह 2 बजकर 25 मिनट पर समाप्त होगा। वहीं, दूसरी ओर 14 अक्टूबर को ही रात 11 बजकर 24 मिनट पर नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि का भी आरंभ होगा और 15 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 32 मिनट पर तक रहेगा। लेकिन उदया तिथि के अनुसार, 15 अक्टूबर से ही नवरात्रि की शुरुआत होगी।

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नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना का बड़ा महत्व है, लेकिन सूर्य ग्रहण के दौरान नवरात्रि की शुरुआत होने से लोगों में कलश स्थापना के शुभ मुहूर्त को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। चलिए नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजाविधि जानते हैं।

शुभ मुहूर्त में ही करें कलश स्थापना

नवरात्रि में माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा विधि विधान से की जाती है। नवरात्रि के पहले दिन ही कलश स्थापना की जाती है। मान्यता के अनुसार, कलश स्थापना मुहूर्त में ही करनी चाहिए, क्योंकि नौ दिनों यह देवी के स्वरूप में आपके निवास स्थान में विराजमान रहता है। इस पर विशेष जानकारी देते हुए कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय का स्नातकोत्तर ज्योतिष विभाग के विभाग अध्यक्ष डॉक्टर कुणाल कुमार झा ने बताया कि इस बार शारदीय नवरात्र 15 अक्टूबर रविवार से प्रारंभ होगा। उसी दिन घटस्थापना जिसे कलश स्थापना कहा जाता है वह होगा।

जानिए कब है शुभ मुहूर्त?

इस घटस्थापन का शुभ मुहूर्त अर्ध पहरा होने के कारण 11: 45 तक शुभ मुहूर्त है। उसके बाद 3 घंटा घटस्थापना (कलश स्थापन ) नहीं किया जाएगा. पौने दो बजे के बाद फिर कलश स्थापना किया जाएगा। इसलिए 11: 45 बजे से पूर्व ही घटस्थापना अर्थात कलश स्थापना कर लेनी चाहिए वह उत्तम मुहूर्त है।

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कलश स्थापना पूजा सामग्री

Kalash sthapana on Sharadiya Navratri: घट स्थापना के लिए कलश, मौली, आम का पत्ता, रोली, सिक्का, गेंहू या अक्षत चाहिए। इसके अलावा जवार बोने के लिए एक मिट्टी का बर्तन, जौ या गेहूं, जल, कलावा और साफ कपड़ा चाहिए। साथ ही अखंड ज्योति प्रज्जवलित करने के लिए दीपक , घी, रोली, चंदन, रूई बत्ती समेत सभी पूजन सामग्री एकत्रित कर लें।

  • सबसे पहले घर के मंदिर को साफ करें। अब एक छोटी चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं।
  • इसके बाद मां दुर्गा की प्रतिमा को ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) में स्थापित करें।
  • एक कलश में जल, सुपारी, सिक्का, दुर्वा और लौंग का जोड़ा डालकर रखें।
  • गणेश जी का ध्यान करते हुए ईशान कोण में ही अब कलश भी माता के प्रतिमा के साथ रखें।
  • अब आग्नेय कोण में पीले चावल का अष्टदल बनाएं और उसके ऊपर अखंड दीपक रखें।
  • नवरात्रि के 9 दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधिवत पूजा-उपासना करें।

Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य है और सटीक है। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।