रायपुर। वैशाख का महीना आरंभ हो चुका है। धर्मग्रंथों में वैशाख मास को अत्यंत पवित्र और पुण्यदायी बताया गया है एवं देव आराधना, दान, पुण्य के लिए श्रेष्ठ मास बताया गया है। इस मास की तुलना मां से की गई है क्योंकि यह एक माता की भांति सब जीवों को सदा अभीष्ट वस्तु प्रदान करने वाला है। धर्म, यज्ञ, क्रिया और तपस्या का सार है एवं सम्पूर्ण देवताओं द्वारा पूजित है।
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संसार में इसके समान भगवान विष्णु को प्रसन्न करने वाला दूसरा कोई मास नहीं है। वैशाख के महीने में सब तीर्थ आदि देवता(तीर्थ के अतिरिक्त)बहार के जल में भी सदैव स्थित रहते हैं एवं भगवान विष्णु की आज्ञा से मनुष्यों का कल्याण करने के लिए वे सूर्योदय से लेकर छः दंड के भीतर तक वहां मौजूद रहते हैं। शास्त्रों के अनुसार इस माह में प्याऊ लगाना, छायादार वृक्ष की रक्षा करना, पशु-पक्षियों के खान-पान की व्यवस्था करना, राहगीरों को जल पिलाना जैसे सत्कर्म मनुष्य के जीवन को समृद्धि के पथ पर ले जाते हैं। श्री विष्णु के प्रिय वैशाख मास में अलग-अलग वस्तुओं के दान से अलग-अलग फल का प्राप्त होना शास्त्रों में बताया गया है।
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जल दान है सर्वश्रेष्ठ
वैशाख उत्तम महीना है और शेषशायी भगवान विष्णु को हमेशा से प्रिय है। स्कंद पुराण के अनुसार इस माह में जल दान का सर्वाधिक महत्व है, जो पुण्य सब दानों से मिलता है और जो फल सब तीर्थों के दर्शन से प्राप्त होता है, उसी पुण्य और फल की प्राप्ति वैशाखमास में सिर्फ जल का दान करने से हो जाती है। यह समस्त दानों से बढ़कर अधिक लाभ पहुंचाने वाला है एवं जल के दान से त्रिदेव की कृपा मिलती है। जो व्यक्ति महात्माओं,थके और प्यासे व्यक्तियों को स्नेह के साथ शीतल जल पिलाता है, उसे उतनी ही मात्रा से दस हजार राजसूय यज्ञों का फल प्राप्त होता है।
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प्याऊ लगवाना महान कार्य
जो वैशाख मास में सड़क पर यात्रियों के लिए प्याऊ लगाता है, वह विष्णुलोक में प्रतिष्ठित होता है। प्याऊ देवताओं, पितरों और ऋषि-मुनियों को अत्यंत प्रिय है। जो प्याऊ लगाकर थके हुए यात्रियों की प्यास बुझाने में उनकी सहायता करता है, उस पर ब्रह्मा, विष्णु और शिव सहित समस्त देवतागण प्रसन्न होकर अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
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पंखा दान करना
धूप और परिश्रम से पीड़ित ब्राह्मण को जो पंखे से हवाकर शीतलता प्रदान करता है, वह इतने ही मात्र से निष्पाप होकर भगवान का पार्षद हो जाता है। जो राह में थके हुए श्रेष्ठ द्विज को वस्त्र से भी हवा करता है, वह भगवान विष्णु का सामिप्य प्राप्त कर लेता है। जो इस मास में ताड़ का पंखा दान करता है,वह सब पापों का नाश करके ब्रह्मलोक को जाता है।
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अन्न दान
अन्नदान मनुष्यों को शीघ्र ही पुण्य प्रदान करने वाला होता है, इसलिए संसार में अन्न के समान दूसरा कोई दान नहीं है। दोपहर में आए हुए ब्राह्मण मेहमान को या भूखे जीव को यदि कोई भोजन करवाएं तो उसको अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है।
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पादुका एवं चटाई
शास्त्र कहते हैं कि जो विष्णुप्रिय वैशाख मास में किसी जरूरतमंद व्यक्ति को पादुका या जूते-चप्पल दान करता हैं,वह यमदूतों का तिरिस्कार करके भगवान श्री हरि के लोक में जाता है।निद्रा से दुःख का नाश होता है,निद्रा से थकावट दूर होती है इसलिए जो मनुष्य तिनके या खजूर आदि के पत्तों से बनी हुई चटाई दान करता है,उसके सारे दुखों का नाश हो जाता है और परलोक में उत्तम गति को पाता है।
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वस्त्र, फल और शर्बत
जो वैशाख मास में पहनने के लिए कपड़ों का दान करता है वह इसी जन्म में सब सुखों से संपन्न हो जाता है इसी प्रकार जो इस गर्मी के महीने में फल और शर्बत का दान देता है उससे उसके पितृ प्रसन्न होकर आशीर्वाद प्रदान करते है और दान देने वाले के सारे पाप कट जाते हैं। दही,खांड और चावल दान करने से मनुष्य को पूर्ण आयु और सम्पूर्ण यज्ञों का फल प्राप्त होता है।इसी प्रकार घी का दान करने वाला मनुष्य अश्वमेघ यज्ञ का फल पाकर विष्णुलोक में आनंद का अनुभव करता है।