Dev Uthani Ekadashi 2022: आज भूलकर भी तुलसी को जल अर्पित न करें, जाने क्यों भगवान विष्णु ने शालिग्राम बनकर किया विवाह?

Dev Uthani Ekadashi 2022: आज भूलकर भी तुलसी को जल अर्पित न करें, जाने क्यों भगवान विष्णु ने शालिग्राम बनकर किया विवाह?

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  • Publish Date - November 4, 2022 / 08:40 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:26 PM IST

Dev Uthani Ekadashi 2022: धर्म। आज देशभर में बड़ी ही धूमधाम से तुलसी विवाह मनाया जाएगा। आज ही के दिन भगवान विष्णु ने शालिग्राम का रूप लेकर तुलसी माता से विवाह रचाया था।बता दें कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को प्रबोधनी या देवउठनी, तुलसी विवाह एवं भीष्म पंचक एकादशी के रूप में मनाई जाती है।

देवात्थान एकादशी

माना जाता है कि भगवान विष्णु आषाढ़ शुक्ल एकादशी को चार माह के लिए क्षीर सागर में शयन करते हैं और कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को शयन से जगते हैं। अतः इन चार माह में कोई भी मांगलिक कार्य संपन्न नहीं किए जाते। विष्णुजी के जागरण के उपरांत कार्तिक मास की एकादशी को प्रबोधनी या देवत्थान एकादशी के तौर पर मनाया जाता है। इसमें दीपदान, पूजन तथा ब्राम्हणभोज कराकर दान से धन-धान्य, स्वास्थ्य में लाभ होता है।

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भगवान विष्णु ने शालिग्राम बनकर किया विवाह

कार्तिक मास में पूरे माह दीपदान तथा पूजन करने वाले वैद्यजन एकादशी को तुलसी और शालिग्राम का विवाह रचाते हैं। समस्त विधि विधान से विवाह संपन्न करने पर परिवार में मांगलिक कर्म के योग बनते हैं ऐसी मान्यता है। जब वृंदा की पवित्रता खत्म हो गई तो जालंधर की ताकत खत्म हो गई और भगवान शिव ने जालंधर को मार दिया। वृंदा को जब भगवान विष्णु की माया का पता चला तो वह क्रुद्ध हो गई और उन्हें भगवान विष्णु को काला पत्थर बनने (शालिग्राम पत्थर) श्राप दे दिया।

भीष्म पंचक

कहा जाता है कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को जब महाभारत युद्ध समाप्त हुआ किंतु भीष्म पितामह शरशया पर सूर्य के उत्तरायण होने की प्रतीक्षा कर रहे थे। तब श्री कृष्ण पाच पांडवों को लेकर मिलने गए। उपयुक्त समय जानकर युधिष्ठिर ने पितामह से प्रार्थना की आप राज्य संबंधी उपदेश कहें, तब भीष्म ने पांच दिनों तक राजधर्म, वर्णधर्म, मोक्षधर्म आदि पर उपदेश किया। जिसे सुनने से संतुष्ट श्री कृष्ण ने पितामह से वादा किया अब के बाद जो भी इन पांच दिनों तक उॅ नमो वासुदेवाय के मंत्र का जाप कर पांच दिनों तक व्रत का पालन करते हुए उपदेश ग्रहण करेगा तथा अंतिम दिन में तिल जौ से हवन कर संकल्प का पारण करेगा, उसे सभी सुख तथा मोक्ष की प्राप्ति होगी, जो कि भीष्म पंचक के नाम से जाना जायेगा। तब से इस विधान को नियम से करने वालों को जीवन के कष्ट समाप्त होकर सुख की प्राप्ति होती है।

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आज भूल से भी न करें जल अर्पित

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि देवी तुलसी का विवाह एकादशी के दिन विष्णु के एक रूप शालिग्राम से हुआ था। दरअसल, देव उठानी एकादशी के दिन सभी रीति-रिवाजों के साथ दोनों की शादी हुई थी। यह भी माना जाता है कि देवी तुलसी एकादशी का व्रत रखती हैं और यदि आप इस दिन जल चढ़ाएं तो उनका व्रत टूट जाएगा। इससे गुस्से में पौधा भी सूखने लगता है। एकादशी के दिन भी तुलसी के पत्तों को तोड़ने से बचें।

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