पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने बताया कितना लेते हैं एक कथा के लिए फीस, जानकर कहीं खिसक न जाए पैरों तले जमीन

पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने बताया कितना लेते हैं एक कथा के लिए फीस, जानकर कहीं खिसक न जाए पैरों तले जमीन! dhirendra shastri katha fees

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  • Publish Date - May 12, 2023 / 02:30 PM IST,
    Updated On - May 12, 2023 / 02:30 PM IST

पटना: dhirendra shastri katha fees  बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री की ख्याति दिन ब दिन बढ़ती ही जा रही है। इस बात का प्रमाण उनके कथा के दौरान देखने को मिलता है। जी हां धीरेंद्र शास्त्री की कथा में लाखों भक्तों की भीड़ उमड़ती है। वहीं, कई दिग्गज नेता भी इन दिनों धीरेंद्र शास्त्री की शरण में पहुंच रहे हैं। आज से धीरेंद्र शास्त्री बिहार में राम कथा का पठ करेंगे। लेकिन सत्ताधारी दल के कई नेता धीरेंद्र शास्त्री के कथा वाचन कार्यक्रम का विरोध कर रहे हैं, जबकि बीजेपी के नेता सपोर्ट में खड़े दिख रहे। ऐसे में सवाल उठता है कि बाबा बागेश्वर कथा वाचन के लिए कितना पैसा लेते हैं? आखिर उनके एक कार्यक्रम का खर्च कितना आता है?

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dhirendra shastri katha fees  करीब सालभर पहले धीरेंद्र शास्त्री ने खुले मंच से कहा था कि ‘कथाओं से संबंधित हम एक और निवेदन करेंगे कि कथाओं की तारीखें 2023 तक की फुल है। कोई भी ऐसी तारीख नहीं है कि 2023 के पहले खाली हो। कथाओं के नाम पर बहुत लोग बहकाते हैं कि बहुत महंगा है, बहुत कॉस्टली है। सच तो ये है कि हमने कभी कथा के लिए दक्षिणा नहीं मांगी है। जो व्यवस्था है, सिर्फ व्यवस्था मांगी है। पंडाल ज्यादा चाहिए होता है, बहुत लोग पागल हुए रहते हैं बागेश्वर धाम के लिए। भंडारा चाहिए रहता है। कलाकार जो आते हैं उनकी व्यवस्था, गाड़ियों की व्यवस्था, रुकने की व्यवस्था और अन्नपूर्णा भंडारा जो चल रहा है उसके लिए सहयोग। बाकी ये कभी नहीं कहा कि 50 लाख या एक करोड़ देना है। व्यवस्था में चाहे जितना खर्च हो जाए, कथा बिल्कुल भी महंगी नहीं है, ये बेफिजुली की अफवाह है। इसलिए कथाओं को वही लें, जो व्यवस्था बना पाएं। खेल बिल्कुल न समझें।’

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बाबा बागेश्वर धीरेंद्र शास्त्री का दावा है कि वे लोगों के मन की बात पढ़ लेते हैं। कोई भक्त अपनी समस्या लेकर उनके पास आता है तो वो पहले ही उसे कागज पर लिख लेते हैं और उसका समाधान भी बता देते हैं। बागेश्वर धाम सरकार का कहना है कि ये योग-साधना का नतीजा है जो सनातन धर्म की सदियों पुरानी परंपरा है। आभासी शक्तियों के जरिए वे भक्त की समस्या जानकर उसे कागज पर लिख लेते हैं। हनुमान जी की कृपा से वो सही हो जाता है। हनुमान जी की गदा की तरह दिखने वाला ये मुगदर हमेशा बागेश्वर महाराज के साथ रहता है। बाबा का कहना है कि इसी मुगदर से उन्हें शक्तियां मिलती हैं।

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पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के परिवार की आर्थिक स्थिति काफ खराब थी। एक समय ऐसा भी था जब उनके घर में खाने तक का अभाव रहता था। रहने के लिए एक कच्चा मकान था। खाने-पीने का भी अभाव रहता था। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जन्म 4 जुलाई 1996 को मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के गड़ागंज गांव में हुआ था। इनका पूरा परिवार उसी गड़ागंज गांव में रहता है। यहीं पर प्राचीन बागेश्वर धाम का मंदिर स्थित है। धीरेंद्र शास्त्री का पैतृक घर भी यहीं पर है, उनके दादा पंडित भगवान दास गर्ग (सेतु लाल) भी यहीं रहते थे।

 

 

 

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