Dev Uthani Ekadashi 2021: देवउठनी एकादशी इस बार 14 नवंबर, दिन रविवार को है। इस दिन भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए ज्योतिष में कुछ विशेष उपाय बताए गए हैं। इन उपायों से आपके ग्रहों को ही मजबूती नहीं मिलेगी, बल्कि भगवान विष्णु की कृपा से आपके बिगड़े हुए काम भी बनेंगे। इस दिन पूजा और व्रत के अलावा विधि विधान से तुलसी जी का विवाह करने से विष्णु जी का विशेष आशीर्वाद मिलता है।
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ज्योतिषाचार्य के अनुसार एकादशी तिथि 14 नवंबर सुबह 5 बजकर 48 मिनट पर शुरू हो जाएगी, जो 15 नवंबर सुबह 6 बजकर 39 मिनट तक है। 14 नवंबर को उदयातिथि में इस तिथि के प्रारंभ होने से इसी दिन एकादशी का व्रत रखा जाएगा। 15 नवंबर को सुबह श्री हरि का पूजन करने के बाद व्रत का पारण करें।
देवोत्थान एकादशी की पूजा विधि
गन्ने का मंडप बनाने के बाद बीच में चौक बना लें. इसके बाद चौक के मध्य में चाहें तो भगवान विष्णु का चित्र या मूर्ति रख सकते हैं। चौक के साथ ही भगवान के चरण चिह्न बनाए जाते हैं, जिसको कि ढ़क दिया जाता है। इसके बाद भगवान को गन्ना, सिंघाडा और फल-मिठाई समर्पित किए जाते हैं। घी का एक दीपक जलाया जाता है जो कि रातभर जलता रहता है। भोर में भगवान के चरणों की विधिवत पूजा की जाती है, फिर चरणों को स्पर्श करके उनको जगाया जाता है। इस समय शंख-घंटा-और कीर्तन की आवाज की जाती है। इसके बाद व्रत-उपवास की कथा सुनी जाती है, जिसके बाद सभी मंगल कार्य विधिवत शुरु किए जा सकते हैं।
जरूर करें ये काम
1. इस दिन तुलसी के पास रंगोली बनाकर वहां दीपक जलाएं. इसके बाद तुलसी मंत्र या विष्णु भगवान के मंत्र का जाप करें। आप यदि ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप भी 108 बार करते हैं तो आपको सभी कष्टों से मुक्ति मिलेगी।
2. देवउठनी एकादशी पर गायत्री मंत्र का जाप करने से स्वास्थ्य लाभ मिलता है। यदि धन प्राप्ति की इच्छा हो तो भगवान विष्णु को दूध में केसर मिलाकर उससे भगवान का स्नान करिए। इससे आपके घर में धन का आगमन स्वयं होने लगेगा।
3. जिन लोगों के संतान नहीं हैं, वे इस दिन नारायण के सामने घी का दीपक जलाकर संतान गोपाल का 108 बार पाठ करें, तो उनके घ्ज्ञर में जल्द ही बच्चों की किलकारी सुनने के लिए मिलेगी।
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4. एकादशी के दिन पीले रंग के कपड़े, पीले फल व पीला अनाज विष्णु जी को अर्पित करें, इसके बाद ये सभी वस्तुएं गरीबों व जरूरतमंदों में दान कर दें। ऐसा करने से भगवान विष्णु की कृपा आप पर बनी रहेगी।
5. देवउठनी एकादशी के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करने का भी विशेष महत्व है. यदि पीपल के वृक्ष के पास दीपक जलाएं और पीपल के वृक्ष में जल अर्पित करें तो कर्ज से भी जल्दी मुक्ति मिल जाएगी।
6. एकादशी के दिन सात कन्याओं को घर बुलाकर भोजन कराना चाहिए. भोजन में खीर अवश्य शामिल करें। इससे कुछ ही समय में आपकी समस्त मनोकामना पूरी अवश्य होंगी।
7. अविवाहित कन्याएं शीघ्र विवाह के लिए या मनचाहे पति के लिए मां तुलसी को श्रृंगार का सामान भेंट कर सकती हैं।
प्रबोधनी एकादशी, तुलसी विवाह एवं भीष्म पंचक –
कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को प्रबोधनी या देवउठनी, तुलसी विवाह एवं भीष्म पंचक एकादशी के रूप में मनाई जाती है।
देवात्थान एकादशी –
माना जाता है कि भगवान विष्णु आषाढ़ शुक्ल एकादशी को चार माह के लिए क्षीर सागर में शयन करते हैं और कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को शयन से जगते हैं। अतः इन चार माह में कोई भी मांगलिक कार्य संपन्न नहीं किए जाते। विष्णुजी के जागरण के उपरांत कार्तिक मास की एकादशी को प्रबोधनी या देवत्थान एकादशी के तौर पर मनाया जाता है। इसमें दीपदान, पूजन तथा ब्राम्हणभोज कराकर दान से धन-धान्य, स्वास्थ्य में लाभ होता है।
तुलसी विवाह
कार्तिक मास में पूरे माह दीपदान तथा पूजन करने वाले वैद्यजन एकादशी को तुलसी और शालिग्राम का विवाह रचाते हैं। समस्त विधि विधान से विवाह संपन्न करने पर परिवार में मांगलिक कर्म के योग बनते हैं ऐसी मान्यता है।
भीष्म पंचक
कहा जाता है कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को जब महाभारत युद्ध समाप्त हुआ किंतु भीष्म पितामह शरशया पर सूर्य के उत्तरायण होने की प्रतीक्षा कर रहे थे। तब श्री कृष्ण पाच पांडवों को लेकर मिलने गए। उपयुक्त समय जानकर युधिष्ठिर ने पितामह से प्रार्थना की आप राज्य संबंधी उपदेश कहें, तब भीष्म ने पांच दिनों तक राजधर्म, वर्णधर्म, मोक्षधर्म आदि पर उपदेश किया। जिसे सुनने से संतुष्ट श्री कृष्ण ने पितामह से वादा किया अब के बाद जो भी इन पांच दिनों तक उॅ नमो वासुदेवाय के मंत्र का जाप कर पांच दिनों तक व्रत का पालन करते हुए उपदेश ग्रहण करेगा तथा अंतिम दिन में तिल जौ से हवन कर संकल्प का पारण करेगा, उसे सभी सुख तथा मोक्ष की प्राप्ति होगी, जो कि भीष्म पंचक के नाम से जाना जायेगा। तब से इस विधान को नियम से करने वालों को जीवन के कष्ट समाप्त होकर सुख की प्राप्ति होती है।