Dev Uthani Ekadashi 2024: 12 या 13 नवंबर… किस दिन मनाई जाएगी देवउठनी एकादशी, जानें क्या है इसकी सही तारीख और पूजा विधि

Dev Uthani Ekadashi 2024: 12 या 13 नवंबर... किस दिन मनाई जाएगी देवउठनी एकादशी, जानें क्या है इसकी सही तारीख और पूजा विधि

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  • Publish Date - November 7, 2024 / 04:29 PM IST,
    Updated On - November 7, 2024 / 04:30 PM IST

Dev Uthani Ekadashi 2024: हिंदू धर्म में तीज-त्योहारो को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है जिनका अपना अलग महत्व होता है। वहीं अब दिवाली का त्योहार खत्म हो चुका है और ऐसे में कुछ दिनों बाद तुलसी पूजा जिसे देवउठनी एकादशी भी कहा जात है आने वाली है ।हिंदू धर्म में इसे देवोत्थान एकदशी के नाम से भी जाना जाता है। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली देवउठनी एकादशी मां लक्ष्मी और श्रीहरि विष्णु को प्रसन्न करने के लिए श्रेष्ठ दिन माना जाता है, इसके प्रभाव से बड़े से बड़ा पाप भी क्षण मात्र में ही नष्ट हो जाता है।

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मुहूर्त

बता दें कि, इस साल हरिप्रबोधिनी एकादशी व्रत 12 नवंबर दिन मंगलवार को किया जाएगा। इस दिन सूर्योदय पूर्व से ही एकादशी तिथि व्याप्त रहेगी और शाम 4 बजकर 5 मिनट तक रहेगी। लेकिन उदया तिथि के नियमानुसार पूरे दिन 12 तारीख को एकादशी मान्य रहेगी। इसलिए एकादशी व्रत का पारण 13 नवंबर को किया जाएगा।

देवउठनी एकादशी पूजा विधि

देवोत्थान एकादशी के दिन सुबह-सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि कर लेना चाहिए। इसके बाद गन्ने का मंडप बनाएं और बीच में चौक बनाएं। चौक के मध्य में भगवान विष्णु का चित्र या मूर्ति रखें। इसके साथ ही चौक से भगवान के चरण चिह्न बनाए जाते हैं, जो ढककर रखने चाहिए। भगवान को गन्ना, सिंगाड़ा और पीले फल-मिठाई अर्पित किया जाता है। इसके साथ ही भगवान को पीली मिठाई करें। इसके बाद घी का एक दीपक जलाएं और इसे रात भर जलने दें।

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देवउठनी एकादशी के नियम

देवउठनी एकादशी पर बहुत से नियमों का पालन करना जरूरी होता है। इस दिन केवल निर्जल या जलीय पदार्थों पर ही उपवास रखना चाहिए, अगर व्रत रखने वाला रोगी, वृद्ध, बालक या व्यस्त व्यक्ति हैं तो वह केवल एक वेला का उपवास रख सकता है। इस दिन चावल और नमक से परहेज करना चाहिए। भगवान विष्णु की उपासना करना अच्छा रहता है. देवउठनी एकादशी के दिन तामसिक आहार (प्याज, लहसुन, मांस, मदिरा या बासी भोजन) का सेवन बिल्कुल न करें।

देवउठनी एकादशी की कथा

देवउठनी एकादशी का महत्व विशेष रूप से भगवान विष्णु के जागरण से जुड़ा हुआ है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार भगवान विष्णु योगनिद्रा में सो गए थे और उनके सोने के कारण पृथ्वी पर एक भयंकर अंधकार और संकट का दौर शुरू हो गया था। सभी देवता परेशान थे और ब्रह्मा जी से समाधान पूछा। तब ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु के जागरण के लिए एक उपाय बताया “जब भगवान विष्णु का योगनिद्रा से जागरण होगा, तब पृथ्वी पर समृद्धि और शांति का आगमन होगा।” इसके बाद देवता और ऋषि-मुनि मिलकर भगवान विष्णु की पूजा करने लगे। इस दिन भगवान विष्णु के जागरण की खुशी में देवउठनी एकादशी का व्रत मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से शयनासन से उठकर भगवान का पूजन और उपवास रखने का महत्व है। इस दिन का व्रत रखने से भक्तों को समृद्धि, सुख-शांति, और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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