Chhath Puja 2024: दिवाली का पर्व खत्म हो चुका है और अब कुछ दिनों बाद छठ पूजा शुरू होने वाली है। चार दिनों के छठ महापर्व की शुरुआत नहाय-खास के साथ होती है। जिसे बिहार में सबसे ज्यादा मान्यता दी जाती है। इस व्रत में सूर्य भगवान को अर्घ दिया जाता है लेकिन उसका भी मुहूर्त होता है और उस शुभ मुहूर्त में ही भगवान सूर्य को अर्घ दी जाती है। कहा जाता है कि यह सूर्य उपासना का पर्व है और इस पर्व के करने से कई सारी रोगों से भी मुक्ति लोगों को मिल जाती है। कहा जाता है कि जो छठ व्रती खरना पूजा के नियमों का पालन करती हैं, उनकी सारी मनोकामनाएं छठी मैया पूरी करती हैं। मान्यता है इस दिन घर में छठी मैया का आगमन होता है। लेकिन ये बहुत कम लोग ही जानते हैं कि छठी मैया कौन थी और क्यों छठ पूजा में उनको पूजा जाता है। तो चलिए जानते हैं कि आखिर छठी मैया कौन थी।
माना जाता है कि छठी मैया सूर्य देव की बहन थी और उन्हीं को प्रसन्न करने के लिए ये महत्वपूर्ण व्रत किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि छठी माता की पूजा करने से साधक को आरोग्यता, वैभव और संतान सुख का आशीर्वाद मिलता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जब ब्रह्मा जी ने पृथ्वी के साथ प्रकृति का भी निर्माण किया। देवी प्रकृति माता ने खुद को छह रूपों में विभाजित किया, जिसके छठे अंश को छठी मैया के रूप में जाना जाता है।
वहीं दूसरी मान्यता के अनुसार राजा प्रियंवद और पत्नी मालिनी की कोई संतान नहीं थी। इस बात से दुखी होकर दोनों संतान प्राप्ति की इच्छा लेकर ऋषि कश्यप के पास पहुंचे। तब ऋषि ने उन्हें संतान सुख पाने के लिए यज्ञ करने को कहा लेकिन उनका पुत्र मरा हुआ पैदा हुआ। राजा प्रियंवद ने पुत्र वियोग में प्राण त्यागने का फैसला लिया। तब छठी मैया प्रकट हुईं और उन्होंने राजा से कहा कि मैं सृष्टि की मूल प्रवृत्ति में छठे अंश से उत्पन्न हुईं हूं, इसलिए मैं षष्ठी कहलाऊंगी।
Chhath Puja 2024: हिंदू धर्म के सभी त्योहारों और व्रतों में छठी मईया की पूजा सबसे कठिन और फलदायी मानी जाती है. ऐसा माना जाता है कि जो कोई भी व्यक्ति पूरी आस्था, भक्ति और विश्वास के साथ इस पर्व को मनाता है और 36 घंटे का व्रत रखता है, छठी मईया और भगवान सूर्य खुद उसके पुत्र और परिवार की लंबी आयु की रक्षा करते हैं