Maa Durga Ke Mantra

Maa Durga Ke Mantra: अगर आप भी मां दुर्गा को खुश करना चाहते हैं, तो इस नवरात्रि करें इन मंत्रो का जाप, पूरी होगी हर मनोकामना

Maa Durga Ke Mantra: अगर आप भी मां दुर्गा को खुश करना चाहते हैं, तो इस नवरात्रि करें इन मंत्रो का जाप, पूरी होगी हर मनोकामना

Edited By :  
Modified Date: March 24, 2025 / 03:30 PM IST
,
Published Date: March 24, 2025 3:30 pm IST
HIGHLIGHTS
  • चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 30 मार्च से शुरू हो रही है।
  • नवरात्रि की नवमी तिथि 7 अप्रैल 2025 को है।
  • मां दुर्गा को खुश करना चाहते हैं तो इस नवरात्रि इन मंत्रों का जाप करें।

नई दिल्ली। Maa Durga Ke Mantra: हिंदू धर्म में नवरात्रि को बहुत ही खास माना जाता है। नवरात्रि का व्रत साल में चार बार रखा जाता है, जिसमें से दो बार प्रत्यक्ष और दो बार गुप्त नवरात्रि आती हैं। शारदीय और चैत्र नवरात्रि को छोड़कर दो गुप्त नवरात्रि भी होती हैं। वहीं चैत्र नवरात्रि चैत्र महीने में पड़ती है। इसकी शुरुआत चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से होती है और नवमी तिथि पर समापन होता है।

Read More: resident Droupadi Murmu CG Visit : छत्तीसगढ़िया, सबले बढ़िया.. राष्ट्रपति मुर्मू के शब्दों पर विधायकों ने थपथपाई मेज, सीएम साय बोले- हम विकसित भारत और विकसित छत्तीसगढ़ के लिए प्रतिबद्ध

Maa Durga Ke Mantra: वहीं इस साल चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 30 मार्च से शुरू हो रही है। इस दिन मां दुर्गा के नौ स्वरुपों की पूजा की जाती है। जिसमें नवरात्रि की नवमी तिथि 7 अप्रैल 2025 को है। ऐसे में अगर आप भी मां दुर्गा को खुश करना चाहते हैं तो इस नवरात्रि इन मंत्रों का जाप करें। तो चलिए जानते हैं वो कौन से मंत्र है।

Read More: CSK Ball Tampering Video: चेन्नई सुपर किंग्स पर फिर लगेगा दो साल के लिए बैन? मैच के दौरान बॉल टैंपरिंग करते नजर आए खलील अहमद? वायरल हो रहा वीडियो

करें इन मंत्रो का जाप

  1. त्वं वैष्णवी शक्तिरनन्तवीर्या। विश्वस्य बीजं परमासि माया।।
    सम्मोहितं देवि समस्तमेतत्। त्वं वैप्रसन्ना भुवि मुक्त हेतु:।।
  2.  2.सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धन धान्य सुतान्वितः।
    मनुष्यो मत्प्रसादेन भवष्यति न संशय॥
  3. दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो: स्वस्थै: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।
    दारिद्रयदु:खभयहारिणि का त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदाद्र्रचिता।।
  4. देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्।
    रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।
  5. सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
    शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।