Chandra Grahan Sutakkal 2023 : नई दिल्ली: साल का पहला चंद्रग्रहण लग चुका है। साल का पहला चंद्र ग्रहण वैशाख पूर्णिमा यानी बुद्ध पुर्णिमा पर लगा। साल 2023 में कुल चार ग्रहण लगेंगे। वैज्ञानिक दृष्टि से देखे तो चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी चंद्रमा और सूर्य के बीच आ जाती है। पुराणों के अनुसार जब राहु चंद्रमा को ग्रसित करते हैं तब चंद्र ग्रहण का संयोग बनता है तो सूर्य और चंद्र ग्रहण से पहले सूतक काल लगता है। चंद्र ग्रहण से पहले लगने वाले सूतक की अवधि को अशुभ माना जाता है।
Chandra Grahan Sutakkal 2023 : सूर्य हो या चंद्र ग्रहण दोनों ही परिस्थितियों में ग्रहण के पहले की समय अवधि अशुभ मानी गई है, इसे ही सूतक कहा जाता है। इस दौरान कोई भी शुभ या मांगलिक काम नहीं करना चाहिए। मान्यता है कि इस सूतक काल के दौरान शुभ काम शुरू करने पर अशुभ फल मिल सकता है। इसी कारण कई ज्योतिषशास्त्रों में सूतक काल से बचने के लिए प्रभावी नियम बताए गए हैं। ग्रहण के दौरान परिवार के साथ इनका पालन कर ग्रहण का अशुभ प्रभाव खत्म किया जा सकता है।
ज्योतिष के अनुसार सूतक काल की गणना के लिए पहले सूर्य या चंद्र ग्रहण की तिथि के साथ समय का सटीक ज्ञान होना बेहद जरूरी है क्योंकि जब सूर्य ग्रहण के सूतक काल की गणना करते हैं तो ग्रहण से ठीक 12 घंटे पहले से उसका सूतक काल शुरू हो जाता है और ग्रहण समाप्त होने के बाद सूतक काल पूरा होता है। ठीक इसी तरह चंद्र ग्रहण का सूतक काल ग्रहण शुरू होने से ठीक नौ घंटे पहले शुरू होता है और ग्रहण खत्म होने के साथ स्वत: समाप्त हो जाता है।
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सूतक के समय पूजा-पाठ पर पाबंधी लग जाती है। शास्त्रों में यहां तक कहा गया है कि सूतक के दौरान भगवान की प्रतिमा को स्पर्श भी नहीं करना चाहिए। इसे दोष की श्रेणी में रखा गया है।
इस दौरान गर्भवती महिलाओं का विशेष ध्यान रखना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि छोटी सी गलती से भी अजन्मे बच्चे को ग्रहण के प्रभाव से हानी हो सकती है।
सूतक के दौरान भोजन पकाने और ग्रहण करने पर पाबंदी होती है। इस दौरान भोजन पर ग्रहण का अशुभ प्रभाव पड़ता है। लेकिन यह नियम बच्चों, वृद्ध और गर्भवती महिलाओं पर लागु नहीं होती है।
सूतक काल के दौरान तुलसी के पौधे को छूने से भी बचना चाहिए। साथ ही ग्रहण को भी नंगी आंखों से नहीं देखना चाहिए।
पेनुमब्रल ग्रहण एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, प्रशांत, अटलांटिक, हिंद महासागर, अंटार्कटिका और अधिकांश यूरोप में देखा जा सकेगा। भारत की बात करें तो नई दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, कोलकाता, चेन्नई, अहमदाबाद, वाराणसी, मथुरा, पुणे, सूरत, कानपुर, विशाखापत्तनम, पटना, ऊटी, चंडीगढ़, उज्जैन, वाराणसी, मथुरा, इंफाल, ईटानगर, कोहिमा सहित देश के कई अन्य शहर इस आकाशीय घटना के गवाह बन सकेंगे।
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