Brahmacharini Mata ki Aarti : तप का आचरण करने वाली 'माँ ब्रह्मचारिणी' की कृपा पाने के लिए नवरात्री के दूसरे दिन ज़रूर पढ़ें ये आरती, सर्वत्र सिद्धि और विजय की होगी प्राप्ति | Brahmacharini Mata ki Aarti

Brahmacharini Mata ki Aarti : तप का आचरण करने वाली ‘माँ ब्रह्मचारिणी’ की कृपा पाने के लिए नवरात्री के दूसरे दिन ज़रूर पढ़ें ये आरती, सर्वत्र सिद्धि और विजय की होगी प्राप्ति

To get the blessings of 'Maa Brahmacharini' who practices penance, do read this Aarti on the second day of Navratri, you will get success and victory everywhere

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Modified Date: September 23, 2024 / 06:08 PM IST
Published Date: September 23, 2024 6:08 pm IST

Brahmacharini Mata ki Aarti : ब्रह्मचारिणी माँ की नवरात्र पर्व के दूसरे दिन पूजा-अर्चना की जाती है[1]। साधक इस दिन अपने मन को माँ के चरणों में लगाते हैं। ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली। इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली। इनके दाहिने हाथ में जप की माला एवं बाएँ हाथ में कमण्डल रहता है।

Brahmacharini Mata ki Aarti : माँ की आरती से मिलने वाले लाभ

– माँ दुर्गाजी का यह दूसरा स्वरूप भक्तों और सिद्धों को अनन्तफल देने वाला है।
– इनकी उपासना से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है।
– वन के कठिन संघर्षों में भी उसका मन कर्तव्य-पथ से विचलित नहीं होता।
– माँ ब्रह्मचारिणी देवी की कृपा से उसे सर्वत्र सिद्धि और विजय की प्राप्ति होती है।

Brahmacharini Mata ki Aarti : देवी माँ की आरती से पहले ज़रूर पढ़ें ये शक्तिशाली श्लोक

प्रत्येक सर्वसाधारण के लिए आराधना योग्य यह श्लोक सरल और स्पष्ट है। माँ जगदम्बे की भक्ति पाने के लिए इसे कंठस्थ कर नवरात्रि में द्वितीय दिन इसका जाप करना चाहिए।

‘या देवी सर्वभू‍तेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:’।।

अर्थ : हे माँ! सर्वत्र विराजमान और ब्रह्मचारिणी के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है। या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूँ।

Brahmacharini Mata ki Aarti : आईये यहां पर पढ़ें माँ ब्रह्माचारिणी की आरती

जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो।
ज्ञान सभी को सिखलाती हो।
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।
जिसको जपे सकल संसारा।
जय गायत्री वेद की माता।
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।

Brahmacharini Mata ki Aarti
कमी कोई रहने न पाए।
कोई भी दुख सहने न पाए।
उसकी विरति रहे ठिकाने।
जो ​तेरी महिमा को जाने।
रुद्राक्ष की माला ले कर।
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
आलस छोड़ करे गुणगाना।
मां तुम उसको सुख पहुंचाना।

Brahmacharini Mata ki Aarti
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।
पूर्ण करो सब मेरे काम।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।
रखना लाज मेरी महतारी।

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