Banke bihari Aarti : बाँके बिहारी कृष्ण का ही एक रूप है। इतिहास बांके बिहारी की प्रतिमा की पूजा मूल रूप से स्वामी हरिदास ने कुंजबिहारी नाम से की थी। उनके शिष्यों ने प्रतिमा की त्रिभंग मुद्रा के कारण इसे बांके बिहारी नाम दिया। प्रतिमा का प्रकट होना बिहार पंचमी पर मनाया जाता है। बुधवार का दिन श्री बाँके बिहारी अथवा श्री कृष्ण जी को समर्पित है। इस दिन श्री कृष्ण और राधा रानी की आराधना करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है मान्यता है कि प्रत्येक बुधवार श्री कृष्णा की पूजा एवं आरती करने से भगवान कृष्ण की कृपा से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है, जीवन में खुशियां आती हैं तथा व्यक्ति की किस्मत चमकती है।
Banke bihari Aarti : आईये यहाँ प्रस्तुत है श्री बांके बिहारी जी की आरती
श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं,
हे गिरिधर तेरी आरती गाऊं ।
आरती गाऊं प्यारे आपको रिझाऊं,
श्याम सुन्दर तेरी आरती गाऊं ।
॥ श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं..॥
Banke bihari Aarti
मोर मुकुट प्यारे शीश पे सोहे,
प्यारी बंसी मेरो मन मोहे ।
देख छवि बलिहारी मैं जाऊं ।
॥ श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं..॥
Banke bihari Aarti
चरणों से निकली गंगा प्यारी,
जिसने सारी दुनिया तारी ।
मैं उन चरणों के दर्शन पाऊं ।
॥ श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं..॥
Banke bihari Aarti
दास अनाथ के नाथ आप हो,
दुःख सुख जीवन प्यारे साथ आप हो ।
हरी चरणों में शीश झुकाऊं ।
॥ श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं..॥
Banke bihari Aarti
श्री हरीदास के प्यारे तुम हो ।
मेरे मोहन जीवन धन हो।
देख युगल छवि बलि बलि जाऊं ।
॥ श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं..॥
Banke bihari Aarti
श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं,
हे गिरिधर तेरी आरती गाऊं ।
आरती गाऊं प्यारे आपको रिझाऊं,
श्याम सुन्दर तेरी आरती गाऊं ॥
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