Maa Kushmanda Puja Vidhi: नवरात्रि के चौथे दिन होगी मां कूष्मांडा की पूजा, जानें क्या है पूजा विधि और माता का प्रिय रंग व भोग

Maa Kushmanda Puja Vidhi: नवरात्रि के चौथे दिन होगी मां कूष्मांडा की पूजा, जानें क्या है पूजा विधि और माता का प्रिय रंग व भोग

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  • Publish Date - October 18, 2023 / 11:54 AM IST,
    Updated On - May 23, 2024 / 10:56 AM IST

Maa Kushmanda Puja Vidhi: आज नवरात्र का चौथा दिन है। इस दिन मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है। नवरात्र के 9 दिनों में मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है। जिसमें नवरात्रि का प्रथम दिन मां शैलपुत्री को समर्पित है तो दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है, तीसरा दिन मां चंद्रघंटा और चौथे दिन मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कूष्मांडा की पूजा अर्चना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि मां कूष्मांडा की पूजा से जीवन में खुशहाली आती है और हर कष्ट से मुक्ति मिलती है।

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माना जाता है कि मां दुर्गा के चौथे स्वरूप की मंद मुस्कान से ब्रह्मांड की उत्पत्ती हुई थी। इसी के चलते मां का नाम कुष्मांडा पड़ा। माना जाता है कि मां कूष्मांडा सूर्य के घेरे में रहती हैं और उनमें सूर्य की तपिश को सहन करने की शक्ति है। शेर की सवारी करने वाली मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं जिसमें उन्होंने कमंडल, कलश, सुदर्शन चक्र, गदा, धनुष, बाण और अक्षमाला धारण किए हुए हैं। इस दिन जानिए किस तरह से मां कूष्मांडा की पूजा अर्चना करनी चाहिए उन्हें कौने से रंग पसंद है और क्या भोग लगाना जाहिए।

मां कूष्मांडा का प्रिय रंग है नीला और हरा

मां कूष्मांडा को हरा और हल्का नीला रंग पंसद है। ऐसे में पूजा के दौरान इस रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है। इसके साथ ही मां कूष्मांडा को मालपूए का प्रसाद अतिप्रिय है। इसके अलावा उन्हें हलवा और खीर का भोग भी लगाया जा सकता है।

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ऐसे करें मां कूष्मांडा की पूजा

मां कूष्मांडा की पूजा के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहन मंदिर को साफ करें। इसके बाद एक चौकी पर पीला, हरा या लाल कपड़ा बिछाकर मां कूष्मांडा की तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद उन्हें फल, फूल, मिठाई, धूप, दीप, नैवेद्य अर्पित करें। साथ ही उन्हें भोग लगाएं और आरती करें। आखिर में अनजानें में हुई भूल चूक की माफी मांगे और सभी को प्रसाद बांटे।

इस मंत्र से करें पूजा

या देवी सर्वभूतेषु मां कूष्मांडा रूपेण संस्थिता. नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

 

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